रोजादारों ने अदा की अलविदा जुमे की नमाज

रमजान महीने के अंतिम जुमे की नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में भीड़ उमड़ पड़ी.

By PANKAJ KUMAR SINGH | March 28, 2025 9:36 PM

जमुई. रमजान महीने के अंतिम जुमे की नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान जामा, महिसौड़ी, मिर्चा, गौसिया, छोटी, नूर, भछियार पठान टोली, नीमा, सतगामा, हांसडीह, बिठलपुर व इस्लाम नगर मस्जिदों में बच्चे, युवा व बुजुर्गों ने अलविदा जुमे की नमाज अदा की. रमजान के महीने में अलविदा जुमे की नमाज का विशेष महत्व है. रमजान महीने के अंतिम शुक्रवार के बाद ईद का पर्व मनाया जाता है. अलविदा जुमे का रमजान के महीने में कितना महत्व है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि स्थानीय जामा मस्जिद सहित अन्य मस्जिदों में शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग जुटे. हाफिज शमीम आलम ने सभी को अलविदा जुमा की नमाज अदा करायी. उन्होंने सभी के लिए परिवार की सुख-समृद्धि, सामाजिक एकता व विश्व शांति की कामना की. मौलाना फारूक अशरफी ने सभी को नेक रास्ते पर चलने का आह्वान किया. बताया जाता है कि 31 मार्च या फिर 01 अप्रैल के दिन ईद की खुशियां मनाई जायेगी. इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गयी है. हर घर में तरह-तरह के पकवान बनाये जायेंगे तथा सेवइयों की बिक्री भी बढ़ गयी है. इसके अलावा बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए नये-नये परिधान खरीदे जा रहे हैं. आने वाली ईद को देखते हुए बच्चों में अभी से उत्साह देखा जा रहा है.

अपने रब से रोकर दुआ मांगें

महिसौड़ी मस्जिद में बयान करते हुए हाफिज मुस्लिम ने समाज के युवाओं से कहा कि शबा-ए-कद्र का खास एहतराम करें. चांद रात की शबा-ए-कद्र को इनाम वाली रात भी कहा गया है. इस दिन अपने रब से सिद्दत से दुआ करने वाले को अल्लाह खाली हाथ नहीं रखता है.

इस्लाम में जुमे की नमाज का महत्व

उलेमा बताते हैं कि इस्लाम मजहब में जुमे की नमाज का खास महत्व है. हदीस शरीफ में इस बात का जिक्र आता है कि जुमे के दिन ही हजरत आदम अलैहिस्सलम को जन्नत से इस दुनिया में भेजा गया था. उनकी जन्नत की वापसी भी इसी दिन हुई थी. अल्लाह ने उनकी तौबा भी जुमे के दिन कबूल की थी.

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