मौरा बालू घाट को बंद करने की मांग पर अड़े किसान
प्रखंड के मौरा सहित आसपास के कई गांवों के किसानों का अपनी खेती से जुड़ी जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए मौरा बालू बंदोबस्त घाट को बंद करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है.
गिद्धौर . प्रखंड के मौरा सहित आसपास के कई गांवों के किसानों का अपनी खेती से जुड़ी जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए मौरा बालू बंदोबस्त घाट को बंद करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. किसान लगातार जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की गुहार लगा रहे हैं. बताया जाता है कि इससे पूर्व दिसंबर माह में मौरा गांव के किसानों ने इस संबंध में जमुई जिलाधिकारी श्री नवीन से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था. जिस पर जिलाधिकारी ने जिला खनिज विकास पदाधिकारी को जांच के आदेश दिए थे तथा किसानों को समुचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था. किसानों का कहना है कि मौरा बालू घाट से हो रहे खनन के कारण उनकी खेती पर सीधा खतरा मंडरा रहा है. मौरा गांव के कृषक सच्चिदानंद मंडल, विजय रावत, राजेंद्र रावत, गिरिधर कुमार साह, अजय सिंह, अवधेश सिंह, मनोज सिंह, मुकेश रावत, रमेश रावत, बबलू सिंह, सुभाष रावत, रवींद्र रावत, कालू रावत, दिनेश रावत, विधाता रावत समेत दर्जनों किसानों ने बताया कि मौरा पुवारी सिंचाई पैन, मंजला बाहियार सिंचाई पैन, पछियारी सिंचाई पैन, कोरियाका सिंचाई पैन एवं धोबघट सिंचाई पैन के माध्यम से ही दर्जनों एकड़ कृषि योग्य भूमि की सिंचाई होती है. किसानों का कहना है कि नदी से जुड़े इन सिंचाई पैन के कारण ही उनकी खेती संभव है. यदि बालू घाट से लगातार खनन होता रहा तो सिंचाई पैन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, जिससे सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि सिंचाई के अभाव में बंजर हो जायेगी. किसानों का आरोप है कि इसके बावजूद 16 जुलाई 2025 को बिना पब्लिक ऑपिनियन लिए एक बैठक गोपनीय तरीके से आयोजित की गई, जिसमें लाभान्वित राजस्व ग्राम के किसी भी कृषक को नहीं बुलाया गया. इस पर भी किसानों ने कड़ा रोष जताया है. उनका सवाल है कि जब पूर्व में भौगोलिक कारणों से घाट को बंद किया गया था, तो अब किन परिस्थितियों में इसे पुनः चालू किया जा रहा है. इस संबंध में जिला खनिज विकास पदाधिकारी केशव कुमार पासवान ने बताया कि जांच कमेटी की फाइनल रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है. रिपोर्ट आते ही इस दिशा में नियमानुसार समुचित कार्रवाई की जायेगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
