चकाई पर चर्चा, दिग्गजों के बीच मतभेद ने गंवायी सीटएनडीए के घटक दलों की उदासीनता से राजद को मिला फायदा

मतगणना संपन्न होने के उपरांत अब हार जीत के कारणों पर मंथन जारी है.

By PANKAJ KUMAR SINGH | November 17, 2025 9:25 PM

सोनो . मतगणना संपन्न होने के उपरांत अब हार जीत के कारणों पर मंथन जारी है. चाय की दुकान हो या फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, हर जगह मंथन का दौर जारी है. सर्वाधिक चर्चा चकाई विधान सभा सीट को लेकर है. जमुई जिला ही नहीं बल्कि इसके समीपवर्ती अन्य तीन जिलों सहित चार जिला में चकाई एक मात्र सीट है जो राजद की झोली में गया है. यहां पूर्व मंत्री सुमित सिंह जदयू के टिकट पर एनडीए के प्रत्याशी थे. विकास के मुद्दे पर एनडीए की लहर थी फिर भी चकाई सीट एनडीए से खिसक गई. एनडीए प्रत्याशी सुमित सिंह को शिकस्त मिली और राजद प्रत्याशी सावित्री देवी ने जीत दर्ज की. अब हार को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है. आम तौर पर लोग मान रहे हैं कि जदयू से बागी बन निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले संजय प्रसाद ने जदयू प्रत्याशी सुमित सिंह के जीत के समीकरण को बिगाड़ दिया. लेकिन इसके साथ-साथ कुछ बुद्धिजीवियों का यह भी मानना है कि चुनाव के दौरान एनडीए वोटरों में बिखराव था, जबकि राजद के वोटर एकजुट थे. एनडीए के घटक दल में उदासीनता से राजद को फायदा मिला. कहा जा रहा है कि चुनाव पूर्व बटिया में हुए एनडीए के कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद से ही एनडीए के एक घटक दल में नाराजगी मुखर कर सामने आयी थी. मंच पर सीट को लेकर हुई यह नाराजगी आगे भी जारी रही थी. उस कार्यक्रम में जदयू से टिकट की दावेदारी रखने वाले दो दिग्गज सुमित सिंह और संजय प्रसाद के बीच का विरोध और तनाव खुलकर सामने आया था. वरिष्ठ नेताओं द्वारा दोनों दिग्गज के बीच की दूरी और मतभेद को पाटने का प्रयास नहीं किया गया. बाद में यह दूरी ज्यादा बढ़ी और दोनों एक दूसरे के विरोध में चुनावी मैदान में कूद पड़े. चूंकि संजय प्रसाद जदयू से थे लिहाजा उनके अधिकांश कार्यकर्ता व वोटर भी एनडीए के थे. उन्हें प्राप्त हुए वोट का सीधा नुकसान सुमित कुमार को उठाना पड़ा. वहीं एनडीए के अन्य घटक दलों द्वारा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार में शिथिलता बरती गयी. गांव गांव जाकर मतदाताओं से मिलने में इन घटक दलों की उदासीनता स्पष्ट दिखी. एक खास दल के कोर वोटर का झुकाव भी एनडीए के बजाय निर्दलीय की ओर ज्यादा रहा. वहीं राजद का वोटर एकजुट रहा. राजद प्रत्याशी सावित्री देवी यादव वोटर को बिखरने से रोकने में सफल रही. उनका फोकस अपने कोर वोटर और माय समीकरण की मजबूती पर रहा. परिणामतः उन्होंने मजबूती से जीत दर्ज की.

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