प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ बिहार का जमुई, नुकरी और तीतर खींच रहा पर्यटकों का ध्यान

Bihar News: मंगोलिया जैसे इलाकों से आने वाला यह राजहंस एक बार फिर नागी–नकटी को ही अपना ठिकाना बनाकर लौटा है. विशेषज्ञों के अनुसार यह क्षेत्र की सुरक्षा, अनुकूल वातावरण और बेहतर जैव विविधता का प्रमाण है.

By Ashish Jha | December 7, 2025 8:45 AM

Bihar News: जमुई. ठंड शुरू होते ही वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में रामसर स्थल-नकटी और नागी पक्षी आश्रयणी में आनेवाले प्रवासी पक्षियों की गिनती शुरू कर दी है. रविवार तक इसकी गिनती की जायेगी. पक्षी विशेषज्ञ अरबिंद मिश्रा ने बताया कि नकटी में करीब तीन हजार और नागी में करीब दो हजार देशी–विदेशी पक्षी दर्ज किये गये. नकटी में 35 और नागी में 39 प्रजातियों की मौजूदगी ने विशेषज्ञों को उत्साहित किया है. इनमें कई प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर दूर दुनिया के दूसरे हिस्सों से यहाँ पहुंचे हैं.

आकर्षण का केंद्र रही राजहंस

राजहंस (बार-हेडेड गूज) की आमद हमेशा की तरह आकर्षण का केंद्र रही. इसके अलावा लालसर (रेड क्रेस्टेड पोचार्ड) और सरार (यूरेशियन कूट) बड़ी संख्या में दिखे. अन्य प्रमुख प्रवासी प्रजातियों में छोटा लालसर (वीजन), मैल (गडवाल), बुरार (कॉमन पोचार्ड), सींखपर (नॉर्दर्न पिनटेल), चकवा (रूडी शेलडक), तिदारी (नॉर्दर्न शोवलर), अरुण (व्हाइट-आइड पोचार्ड), छोटी मुर्गाबी (कॉमन टील), गिलहरिमार (बूटेड ईगल), झिरिया (लिटिल रिंग्ड प्लोवर), टिमटिमा (ग्रीन शैंक), सफेद खंजन (व्हाइट वैगटेल), शिवा हंस (ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब) और मछलीमार (ऑस्प्रे) शामिल हैं.

नुकरी और भट-तीतर ने खींचा ध्यान

जमुई आने वाले पक्षी प्रेमियों की खास रुचि इंडियन कोर्सर (नुकरी) और चेस्टनट-बेलीड सैंडग्राउज (भट-तीतर) को देखने की रहती है. इस बार दोनों प्रजातियाँ भरपूर मात्रा में दिखीं, जिससे बर्ड वॉचर्स बेहद उत्साहित नजर आए.

लाल कॉलर लगा राजहंस बना आकर्षण का केंद्र

इस गणना अभियान की सबसे खास उपलब्धि रही एक बार-हेडेड गूज का पुनः दीदार, जिसकी गर्दन में ‘B08’ लिखा लाल कॉलर लगा था. इस कॉलर को बीएनएचएस के वैज्ञानिकों ने पिछले वर्ष की सर्दी में यहीं नागी में फिट किया था. इतनी दूर मंगोलिया जैसे इलाकों से आने वाला यह राजहंस एक बार फिर नागी–नकटी को ही अपना ठिकाना बनाकर लौटा है. विशेषज्ञों के अनुसार यह क्षेत्र की सुरक्षा, अनुकूल वातावरण और बेहतर जैव विविधता का प्रमाण है.

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