hajipur news. मरम्म्त नहीं होने से बंद पड़ीं अधिकतर बोरिंग

जिले में कुल 224 स्टेट बोरिंग हैं, जिसमें से वर्तमान में 92 चालू की अवस्था में है और बाकी 132 रखरखाव ठीक से नहीं होने से बंद पड़ी हैं

By Shashi Kant Kumar | August 20, 2025 11:13 PM

हाजीपुर. जिले की 85 फीसद से अधिक की आबादी कृषि पर आश्रित है. यहां मिट्टी उपजाऊ तो है लेकिन सिंचाई की समुचित व्यवस्था के अभाव में किसान भाग्य भरोसे खेती करने को मजबूर हैं. विभिन्न पंचायतों में सिंचाई के लिए स्टेट बोरिंग की व्यवस्था है लेकिन रखरखाव के अभाव में सब बंद पड़ा है. जिसके कारण किसान पंपसेट से सिंचाई करने को मजबूर हैं. वर्षों पहले प्रखंड के अधिकांश पंचायतों में फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी स्टेट बोरिंग लगाया गया. जिससे किसानों को सहूलियत मिली तो एक खेत से दो-तीन फसल उपजाने लगे. सिंचाई की बेहतर व्यवस्था से कम लागत पर फसल उगाकर किसान खुशहाल रहते थे,लेकिन विभागीय व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से जगह-जगह लगा स्टेट बोरिंग में खराबी आने पर मरम्मती नहीं कराया गया. जिले में कुल 224 स्टेट बोरिंग हैं, जिसमें से वर्तमान में 92 चालू की अवस्था में है और बाकी 132 रखरखाव ठीक से नहीं होने से बंद पड़ी हैं. अब किसान निजी पंपसेट के जरिये खेतों की सिंचाई करने को मजबूर हैं. इससे किसानों को लागत अधिक बढ़ती जा रही है. गौसपुर ईजरा पैक्स अध्यक्ष अनिल कुमार राय बताते है कि पंचायत में लगभग चालीस साल पुराना स्टेट बोरिंग है, जो वर्षो से बंद पड़ी है, स्टेट बोरिंग बंद होने से किसानो में लागत आय से ज्यादा बढ़ गयी है. जिसके कारण किसान बड़े पैमाने पर खेती नहीं कर पा रहे हैं. केवल अपनी पूर्ति के लिए ही सिर्फ फसल उपजाते हैं. बाकी खेतो को वैसे ही परती छोड़ देते है. स्टेट बोरिंग बंद होने से किसान चिंतित रहते हैं. चूंकी डीजल का मूल्य दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है, पैसों की अभाव में किसान अपनी खेतों को सही समय से सिंचाई नहीं कर पाते है. गौसपुर ईजरा पंचायत का स्टेट बोरिंग अब तक लगभग पांच से अधिक बार बनाया गया, लेकिन बार बार खराब हो जाता है. इसके रख रखाव के लिए एक कर्मी की नियुक्ति भी किया गया है, लेकिन आज तक कभी भी वह देखने तक नहीं आते है. जिसके कारण ग्रामीण किसानों में आक्रोश है. अगर स्टेट बोरिंग को चालू कर दी जाती है तो आसपास के किसानों को फसल उत्पादन करने में कम लागत आयेगी एवं किसान को काफी लाभ मिलेगा. पंचायत के नवल किशोर राय, सुनील राय, उपेन्द्र राय, रामप्रवेश राय, बच्चू राय, अर्जुन राय, सुभाष राय, सुरज राय सहित अन्य किसानों का कहना है कि यदि सरकार सिंचाई की समुचित व्यवस्था कर दे तो निश्चित रूप से किसानों को लाभ मिलेगा एवं अन्य जगहों से बेहतर उत्पादन कर किसान खुशहाल हों पायेंगे. यहां की मिट्टी उपजाऊ होने के साथ-साथ समतल भी है. श्रम शक्ति भी उपलब्ध है जिसके कारण आसानी से साल में दो तीन फसल उगाया जा सकता है.

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