फाइलेरिया उन्मूलन के लिए शुरू हुआ अभियान

हाजीपुर. जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सोमवार को सदर अस्पताल परिसर में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एमडीए का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ इंद्र देव रंजन ने किया.

By Prabhat Khabar | September 29, 2020 4:37 AM

हाजीपुर. जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सोमवार को सदर अस्पताल परिसर में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एमडीए का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ इंद्र देव रंजन ने किया. इस मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सत्येंद्र सिंह और केयर डिटीएल सुमित कुमार को सिविल सर्जन ने फाइलेरिया की दवा खिलाकर अभियान को आगे बढ़ाया. सिविल सर्जन ने लोगों से अपील की कि दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिला और गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्ति को छोड़ कर सबको फाइलेरिया की दवा खानी चाहिए.

उन्होंने लोगों से कहा कि हाथी पांव के साथ जिंदगी जीने की विवशता को जागरूकता से मात देने की जरूरत है. मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने फाइलेरिया उन्मूलन का संदेश लिखी टोपियां बांटी. कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग दे रहे पीसीआई के आलोक कुमार, केयर इंडिया के सुमित कुमार, डीआईओ डॉ ललन कुमार, डीपीओ सोमनाथ ओझा, सभी कार्यक्रम पदाधिकारी और डीएचएस के स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे.

अस्पताल परिसर में दवा काउंटर पर उपलब्ध : फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सदर अस्पताल परिसर में बने काउंटर पर एक एएनएम की तैनाती की गयी है. अस्पताल में आने वाले लोगों को ये फाइलेरिया की दवा खिलायेंगी. इसके अलावा हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दवा खिलायी जानी है. क्षेत्र में आशा को जागरूकता अभियान में लगाया गया है. पीसीआई कम्युनिटी मोबिलाइजेशन का कार्य कर रही है. इस अभियान में डीईसी एवं एलबेंडाजोल की गोलियां लोगों की दी जाएंगी. 2 से 5 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की एक गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष से अधिक लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी. एलबेंडाजोल का सेवन चबाकर किया जाना है.

क्या है फाइलेरिया यानी हाथी पांव: इसे हाथी पांव रोग के नाम से भी जाना जाता है. बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया के शुरुआती लक्ष्ण होते हैं. यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है. आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है. फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील(अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है, इसलिए इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए इसके उन्मूलन को लेकर व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

posted by ashish jha

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