चित्रकुट की पहाड़ों से जड़ी-बुटी बेचने आयी महिलाओं के समक्ष भुखमरी की स्थिति

चित्रकुट की पहाड़ों से जड़ी-बुटी लेकर बिहार के गोपालगंज शहर में पहुंचे एक दर्जन परिवार के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. दाने-दाने को मोहताज हुए परिवार के सदस्य शहर की सड़कों पर लोगों से सहयोग मांगते देखे जा रहे.

By Prabhat Khabar | April 4, 2020 9:15 AM

गोपालगंज. चित्रकुट की पहाड़ों से जड़ी-बुटी लेकर बिहार के गोपालगंज शहर में पहुंचे एक दर्जन परिवार के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. दाने-दाने को मोहताज हुए परिवार के सदस्य शहर की सड़कों पर लोगों से सहयोग मांगते देखे जा रहे. गुरुवार की सुबह 10.30 बजे डाकघर चौक के पास कलेक्ट्रेट रोड में सहयोग की उम्मीद लिये बैठी कस्तुरी बाई, कांची, गांजी, आशा बाई अपने तीन मासूम बच्चों के साथ लोगों की तरफ देख रही थी. कस्तुरी ने कहा कि पेट में आग लगी हो बाबू तो मौत की परवाह क्या करना. पहले पेट की आग बुझे तो मौत से भी लड़ लेंगे. दिनभर लोगों से सहयोग मांगते है तो तो रोटी का इंतजाम होता है.

तीन दिनों से फाकाकसी के बीच पैर टेंट में रूक नहीं पाया. यह कहते हुए कस्तुरी रो पड़ी. लॉकडाउन होने के कारण सड़कों पर सन्नाटा के बीच कस्तुरी के साथ बैठी महिलाओं को देख चुपचाप लोग चलते जा रहे थे. कस्तुरी से जब पूछा गया कि कोरोना की महामारी में कचरा क्यों चुन रही तो उसकी दर्द सामने आया. कहा कि चित्रकुट से जड़ी-बुटी बेचने आयी थी. तभी चारो तरफ से आने-जाने का रास्ता बंद हो गया. दुकान को भी पुलिस वालों ने बंद करा दिया. घर में खाने का नहीं तो क्या करे.

जान बचाने के लिए सड़क पर सहयोग के लिए निकलना पड़ा. मिलने वाला पैसा से राशन खरीदेगी. कोरोना क्या करेगा. भूख से जान बचेगी तो ना कोरोना का डर है. यहां तो जान बचाने की आफत है. सरकार के पास कई योजनाएं ऐसे लोगों के लिए चल रही है. उधर, एसडीओ उपेंद्र कुमार पाल से पूछने पर बताया कि खाने के लिए शहर में पांच कम्युनिटी किचेन सेंटर खोला गया है. यहां भेज दे तो रहने व खाने का इंतजाम हो जायेगा.

Next Article

Exit mobile version