हथुआ विधानसभा क्षेत्र में रिकॉर्ड वोटिंग से उलझे समीकरण, सभी दलों के दावे तेज

फुलवरिया. हथुआ विधानसभा क्षेत्र में मतदान संपन्न हो चुका है, मगर चुनावी उत्साह और सरगर्मी अब भी उसी रफ्तार से जारी है.

By AWEDHESH KUMAR RAJA | November 7, 2025 5:59 PM

फुलवरिया. हथुआ विधानसभा क्षेत्र में मतदान संपन्न हो चुका है, मगर चुनावी उत्साह और सरगर्मी अब भी उसी रफ्तार से जारी है. बथुआ बाजार हो या गांव की चौपाल, हर जगह रविवार से ऐसे ही राजनीतिक बहस हो रही है, जैसे चुनाव प्रचार अब भी जारी हो. आम मतदाता से लेकर हर दल के कार्यकर्ताओं तक, सबकी जुबान पर एक ही सवाल है कि इस बार हथुआ विधानसभा की कुर्सी पर किसका नाम लिखेगा भाग्य? शुक्रवार की सुबह से ही बथुआ बाजार, श्रीपुर, मिश्र बतरहां, कोयलादेवा, फुलवरिया और आसपास के गांवों में छोटे-छोटे समूह बनकर लोग संभावित नतीजों पर चर्चा करते दिखे. कई स्थानों पर देखते ही देखते बातचीत इतनी गहरी हो जाती है कि कोई बूथवार गणित जोड़ने लगता है, तो कोई जातीय समीकरण को सामने रखता है. बताया जाता है कि इस बार मतदान प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में अधिक रहा है. खासकर ग्रामीण इलाकों में महिलाओं एवं युवाओं की सक्रिय भागीदारी ने राजनीतिक समीकरण को उलझा दिया है. स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान भले ही मुकाबला एकतरफा माना जा रहा था, लेकिन बढ़े मतदान प्रतिशत ने पूरी तस्वीर बदल दी है. बढ़ी वोटिंग का अर्थ यह भी निकाला जा रहा है कि मौन मतदाता पहली बार निर्णायक भूमिका में दिख रहा है. सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार का दावा है कि जनता ने विकास, स्थिरता और योजनाओं के धरातली कार्य पर वोट किया है. दूसरी ओर विपक्षी दल के उम्मीदवारों का दावा है कि इस बार मतदाता बदलाव के मूड में हैं. वहीं कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों के खेमे में भी आशा की लौ जल रही है. उनका मानना है कि त्रिकोणीय और कहीं–कहीं चतुष्कोणीय मुकाबले की वजह से वोट का बिखराव उनके पक्ष में बड़ा चमत्कार कर सकता है. बाजारों और चाय की दुकानों पर बूथवार अनुमान अब भी जारी है कि किस बूथ में किस वर्ग का वोट किस उम्मीदवार की ओर झुका, कितना मतदान किस गांव से हुआ इसी पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार वोट जातीय दीवारों को पार कर गया है और मतदाता ने अपनी पसंद स्वयं गढ़ी है. कई बूथों से मिली शुरुआती सूचनाओं के आधार पर प्रत्याशियों की धड़कनें और बढ़ी हैं. अब सबकी नजर मतगणना की तारीख पर टिक गयी है. समर्थक गणित में जुटे हैं, प्रत्याशी रणनीति साध रहे हैं और आम जनता नतीजों की प्रतीक्षा कर रही है.

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