कुचायकोट में नोटा को निर्दलीय प्रत्याशियों से ज्यादा मिले वोट, फिर मिला चौथा स्थान

कुचायकोट. विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जहां कुचायकोट में छठी बार अमरेंद्र कुमार पांडेय की जीत का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं मतगणना का एक चौंकाने वाला तथ्य लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है.

By AWEDHESH KUMAR RAJA | November 17, 2025 5:52 PM

कुचायकोट. विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जहां कुचायकोट में छठी बार अमरेंद्र कुमार पांडेय की जीत का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं मतगणना का एक चौंकाने वाला तथ्य लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इस बार भी नोटा ने निर्दलीय प्रत्याशियों से अधिक वोट प्राप्त किये हैं. खास बात यह कि 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में भी यही तस्वीर देखने को मिली थी. इस चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी अमरेंद्र कुमार पांडेय को 1,01,425 वोट मिले, जबकि महागठबंधन के प्रत्याशी हरिनारायण सिंह को 76,934 वोट प्राप्त हुए. वहीं विजय कुमार चौबे को 6,077 वोट मिले. इसके बीच नोटा ने 5,786 मत हासिल कर निर्दलीयों को पीछे छोड़ दिया. परिणामों के बाद क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और राजनीतिक जानकारों के बीच नोटा को मिले इतने बड़े वोटों को लेकर गहन चर्चा हो रही है. लोगों का कहना है कि आखिर वह कौन-सा वोटर वर्ग है, जो न तो जातीय समीकरणों से प्रभावित होता है और न ही किसी राजनीतिक गठबंधन पर भरोसा जताता है? कई मतदाताओं के बारे में यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि वे मंच पर किसी उम्मीदवार के साथ तो दिखे, लेकिन मतदान केंद्र पर जाकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए नोटा का बटन दबा आये यह स्थिति राजनीतिक खेमे के भीतरघात की ओर संकेत करती दिखाई दे रही है. नोटा का बढ़ता ग्राफ राजनीतिक दलों के लिए एक गंभीर संदेश है कि संगठन और उम्मीदवारों के प्रति नाराजगी अब सीधे-सीधे वोट प्रतिशत में बदलने लगी है. इस बार नोटा का प्रदर्शन न केवल रुझान बदलने की ओर इशारा करता है, बल्कि आने वाले चुनावों में राजनीतिक दलों के लिए चुनौती भी बनकर उभरा है.

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