कलियुग में मोक्षदायिनी है भगवान की कथा : रितिकानंद जी महाराज
पंचदेवरी. परमात्मा की प्राप्ति ही मनुष्य के जीवन का एकमात्र लक्ष्य है. इस लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग भगवान की कथा के श्रवण से ही प्राप्त होता है.
पंचदेवरी. परमात्मा की प्राप्ति ही मनुष्य के जीवन का एकमात्र लक्ष्य है. इस लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग भगवान की कथा के श्रवण से ही प्राप्त होता है. इस घोर कलियुग में भगवान की कथा मोक्षदायिनी है. यह आत्मा को परमात्मा से मिलाती है. मनुष्य के अंदर भक्ति व वैराग्य को जागृत करती है तथा परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है. उक्त बातें स्थानीय प्रखंड के नंदपट्टी में 23 नवंबर से चल रहे श्री शतचंडी महायज्ञ में प्रख्यात कथावाचक रितिकानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि भगवान राम की कथा जीवन के आदर्शों से जुड़ी है. इसके श्रवण से जीवन जीने की समस्त कलाएं विकसित होती हैं. इतना ही नहीं, इसके श्रवण से काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या जैसे आंतरिक शत्रुओं का नाश भी होता है. जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं. अपनी कथा की अमृत वर्षा करते हुए रितिकानंद जी महाराज ने कहा कि मनुष्य इस संसार का सर्वश्रष्ठ प्राणी है ,लेकिन वह अपने उद्देश्य से भटक जाता है. सांसारिक मोह-माया में उलझ कर अपने अमूल्य जीवन को नष्ट कर देता है. वह समझ नहीं पाता है कि उसके जीवन का रहस्य क्या है. जीवन का सार तो भगवान के भजन-कीर्तन में है. इसके बिना प्राणी का कल्याण संभव नहीं है. ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने इतना सुंदर मानव तन दिया है. इस सांसारिक बंधनों से अलग होकर ईश्वर का भजन-कीर्तन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मनुष्य जब भगवान की कथा का श्रवण करता है, तो उसके सभी संताप दूर हो जाते हैं. जीवन में सुख व शांति का समावेश होता है.
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