Political News : चुनाव प्रचार से लौटने के बाद सभी लोग साथ बैठकर खाते थे खाना
एक समय था जब बरौली विधानसभा सीट पर कांग्रेस का एकछत्र दबदबा हुआ करता था.
संजय तिवारी शांडिल्य, बरौली
एक समय था जब बरौली विधानसभा सीट पर कांग्रेस का एकछत्र दबदबा हुआ करता था. लेकिन 1990 में निर्दलीय प्रत्याशी ध्रुवनाथ चौधरी ने कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया. इसके बाद से कांग्रेस इस सीट पर कभी वापसी नहीं कर सकी. इससे पहले 1967 में भी निर्दलीय प्रत्याशी भूलन राय ने जीत दर्ज की थी. बरौली के इतिहास में अब तक केवल दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने ही विजय हासिल की है. आज बुजुर्ग हो चुके पूर्व विधायक ध्रुवनाथ चौधरी अपने राजनीतिक दौर को याद करते हुए कहते हैं कि हमारा जमाना अलग था. तब आपसी वैमनस्य नहीं था. विरोधी दल के प्रत्याशी से रास्ते में मुलाकात हो जाती तो साथ बैठकर भूंजा या सत्तु खाते थे. प्रचार साइकिल या मोटरसाइकिल से होता था, न कि बड़े काफिलों से. ध्रुवनाथ चौधरी बताते हैं कि 1990 में चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार मैदान में थे. उन्हें 23,652 वोट मिले थे, जबकि जनता पार्टी के प्रत्याशी रामप्रवेश राय को 22,841 वोट प्राप्त हुए. उस समय कांग्रेस के मौजूदा विधायक चौथे स्थान पर रहे थे. 29 हजार रुपये के खर्च में जीत लिया था चुनाव: 1990 के चुनाव में ध्रुवनाथ चौधरी ने मात्र 29 हजार रुपये के खर्च में निर्दलीय जीत दर्ज की थी. बाद में उन्होंने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली पार्टी को समर्थन दिया. उनकी पहचान एक ईमानदार और सादगीपूर्ण जनसेवक के रूप में रही. विधायक बनने के बाद भी उन्होंने सरकारी पैसे से कोई निजी सुविधा नहीं ली. यहां तक कि विधायकी के पैसे से साइकिल तक नहीं खरीदी. राजनीति से संन्यास लेने के बावजूद आज भी लोग सलाह लेने उनके पास पहुंचते हैं. क्षेत्र में उनकी सादगी और ईमानदारी की चर्चा अब भी लोगों के बीच मिसाल के रूप में की जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
