Pitru Paksha: गयाजी में प्रेतशिला-रामशिला से प्रेत का आज उद्धार करेंगे पिंडदानी, जानें महत्वपूर्ण तिथियां

Pitru Paksha 2022: गयाजी में हजारों लोगों अपने पूर्वज की आत्मा की शांति के लिए आज सर्वप्रथम ब्रम्हाकुंड वेदी पर श्राद्ध करके प्रेतशिला वेदी पर श्राद्ध करेंगे. इसके बाद प्रेतशिला पर सत्तू उड़ाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा के दर्शन करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 11, 2022 7:41 AM

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष का महिना शुरू हो गया है. गयाजी में हजारों लोगों अपने पूर्वज की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर रहे है. आज 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक गया श्राद्ध का द्वितीय दिवस आश्विन कृष्ण प्रतिपदा है. उक्त तिथि इस साल 11 सितंबर दिन रविवार को है. सर्वप्रथम ब्रम्हाकुंड वेदी पर श्राद्ध करके प्रेतशिला वेदी पर श्राद्ध करें. वहां ब्रम्हा जी के चरण पर पिंड समर्पण करके प्रेत योनि को प्राप्त पितरों की मुक्ति के लिए तिल मिला हुआ सत्तू उड़ाते हुए समीप के शीला की प्रदशिक्षा करें तथा विष्णु भगवान की प्रतिमा के दर्शन करें. इससे प्रेतयोनि में गये हुए पितर का उद्धार हो जाता है. यहां से जाकर रामशिला के समीप रामकुंड पर श्राद्ध करके रामशिला पर श्राद्ध करें.

जानें रामशिला का प्राचीन नाम

रामकुंड में श्रीराम ने स्नान किया था. रामशिला का प्राचीन नाम प्रभास शिला था. पिता के श्राद्ध के लिए आये हुए श्री राम के नाम पर इसका नाम रामशिला हुआ. पर्वत पर पातालेश्वर नामक शिवलिंग के दर्शन करने से कुल के प्रेत योनि में गये हुए पितर मुक्त हो जाते हैं. मरीचि ऋषि के श्राप से पत्थर बनी हुई उनकी पत्नी धर्मशिला के दोनों पैरों का अंगुठा प्रेतशिला एवं रामशिला है. सर्पदंश से, जलमें डूबने से, आग में जलने से व बाघ के आधात से मृत्यु को प्राप्त प्राणी प्रेत हो जाते हैं. उक्त पिंडदान से उनका उद्धार हो जाता है. यहां से दक्षिण तरफ मुख्य पथ पर कागवली वेदी है. वहां कौवे, यमराज के कुत्ते एवं गौ माता को बलि दी जाती है. उक्त बलि से यमराज मार्ग का कष्ट प्राणी कोा नहीं होता है.

Also Read: Pitru Paksha 2022: गयाजी पिंडदान से पहले जानें जरूरी बातें, अगले 15 दिन भूलकर भी न करें इन चीजों का सेवन

अगर किसी को अपने पूर्वजों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं है, तब हिंदू धर्म शास्त्रों में कुछ विशेष तिथियां बतायी गयी हैं, जिस दिन पितरों के लिए श्राद्ध करना उत्तम माना गया है.

श्राद्धपक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां

प्रतिपदा श्राद्ध- पितृपक्ष में अगर आपको अपने नाना-नानी या उनके परिवार के किसी मृत व्यक्ति की मृत्यु तिथि याद नहीं है, तो आप प्रतिपदा तिथि पर उनके लिए श्राद्ध कर सकते हैं.

पंचमी श्राद्ध- अविवाहित मृत व्यक्ति के श्राद्ध के लिए पंचमी तिथि उत्तम मानी गयी है. पंचमी श्राद्ध को कुंवारा पंचमी भी कहते हैं.

नवमी श्राद्ध माता का श्राद्ध- नवमी श्राद्ध पर करें. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्राद्ध से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध होता है. इसे मातृ नवमी भी कहते हैं.

एकादशी और द्वादशी श्राद्ध- संन्यास ले चुके मृत व्यक्ति के श्राद्ध के लिए एकादशी और द्वादशी श्राद्ध शुभ माने गये हैं. इन तिथियों पर उनका श्राद्ध करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है.

त्रयोदशी और चतुर्दशी श्राद्ध- जिनके परिवार में किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो, उनके श्राद्ध के लिए त्रयोदशी (केवल मृत बच्चों) और चतुर्दशी तिथि उत्तम मानी गयी ह

Next Article

Exit mobile version