26 फीट नीचे खिसका भूगर्भीय जलस्तर, तीन पंचायतों में पेयजल के लिए हाहाकार
चैत माह के प्रारंभ में ही तापमान के बढ़ने से क्षेत्र में भूगर्भीय जलस्तर नीचे खिसकने लगा है. इस कारण प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों में चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है.
बेनीपुर. चैत माह के प्रारंभ में ही तापमान के बढ़ने से क्षेत्र में भूगर्भीय जलस्तर नीचे खिसकने लगा है. इस कारण प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश गांवों में चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है. वहीं पंचायत के विभिन्न वार्डों में लगे नल-जल विभागीय उदासीनता के कारण बंद पड़े हैं. लिहाजा लोगों को इस साल भी पेयजल के लिए दर-दर भटकने की चिंता अभी से सताने लगी है. सर्वाधिक जलसंकट शिवराम, मकरमपुर व पोहद्दी पंचायत के लोगों को झेलना पड़ रहा है. यहां के अधिकांश चापाकल से पानी आना बंद हो गया है, वहीं नल-जल मात्र दिखावा के लिए है. पीएचइडी से मिली जानकारी के अनुसार इन तीनों पंचायतों का जलस्तर 25 से 26 फीट नीचे चला गया है. इस कारण चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है. फलत: लोगों के सामने पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया है.
अधिकांश चापाकलों से पानी आना बंद
मालूम हो कि लोगों को निर्वाध रूप से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों की लागत से वार्डों में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत लगा नल-जल दो साल पूर्व ही पंचायत से पीएचइडी को हस्तांतरित कर दिया गया. इसके बावजूद आज भी अधिकांश पंचायत के वार्डों में लगे नल-जल से लोगों को पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है. पोहद्दी के वार्ड सदस्य सुशील पासवान ने बताया कि अधिकांश चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है. वार्ड के लोगों को पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. वहीं मकरमपुर के मुखिया प्रतिनिधि संतोष चौधरी ने बताया कि अधिकांश वार्डों में चापाकल से पानी आना बंद हो गया है. मात्र दो वार्ड में नल जल से जलापूर्त्ति हो रही है. पंचायत में पीने के पानी का काफी अभाव हो गया है. इधर शिवराम के वार्ड सदस्य राजकुमार भगत का भी यही कहना है. उन्होंने कहा कि यदि पंचयात में लगे नल-जल को शीघ्र चालू नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में पंचायत के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेंगे.अनुमंडलीय अस्पताल से पेयजल ढो रही नर्सिंग की छात्राएं
अनुमंडल नर्सिंग कॉलेज के छात्रावास की छात्राओं को मार्च माह में ही जलसंकट से जूझना पड़ रहा है. गुरुवार को नर्सिंग छात्रावास में जल संकट से जूझ रही छात्राएं बगल के अनुमंडलीय अस्पताल से पीने का पानी ढोकर ले जाती दिखी. पानी ले जा रही छात्राओं ने बताया कि मोटर में गड़बड़ी आने के कारण छात्रावास के किसी भी तल पर पानी नहीं पहुंचता है. इस कारण पेयजल का अभाव हो गया है. मजबूरन अनुमंडलीय अस्पताल से पानी लाना पड़ता है. इधर कॉलेज सूत्रों के अनुसार छात्रावास की छत पर लगा सिंटेक्स गत सालभर से टूटा हुआ है. इस कारण उपर पानी नहीं जा रहा है. सीधे नल से ही हॉस्टल की छात्राओं को पानी उपलब्ध कराया जाता है. लिहाजा अधिकांश समय हॉस्टल में पीने के पानी के लाले हैं. विदित हो कि नर्सिंग कॉलेज के हॉस्टल में 101 छात्राएं रहती हैं. इन छात्राओं के लिए पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं है. इससे छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
