लेरिंगोट्रेकेल स्टेनोसिस के प्रबंधन में कोब्लेशन तकनीक बेहद अहम
Darbhanga News:डीएमसीएच परिसर में आयोजित तीन दिवसीय इएनटी सम्मेलन बुधवार को विभिन्न तकनीकी सत्रों में चर्चा के साथ संपन्न हो गया.
दरभंगा. डीएमसीएच परिसर में आयोजित तीन दिवसीय इएनटी सम्मेलन बुधवार को विभिन्न तकनीकी सत्रों में चर्चा के साथ संपन्न हो गया. देशभर से आए इएनटी विशेषज्ञों, सर्जनों और स्नातकोत्तर छात्रों ने आधुनिक उपचार तकनीकों, सर्जिकल स्किल्स और जटिल बीमारियों के प्रबंधन पर अपने विचार रखे. समापन सत्र में अगले वर्ष सम्मेलन को जमशेदपुर में आयोजित करने की घोषणा की गई. जानकारी के अनुसार सुबह के सत्र की शुरुआत डॉ शांतनु पांजा के व्याख्यान से हुई. इसमें उन्होंने ऑपरेटिंग रूम में लेरिंजियल एक्सपोजर की कला पर विस्तार से चर्चा की. अगले सत्र में डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने लेरिंगोट्रेकेल स्टेनोसिस के प्रबंधन में कोब्लेशन तकनीक पर प्रकाश डाला. उसके बाद डॉ कृष्ण राजभर ने इएनटी लीगल ट्रेंड्स एंड प्रिवेंशन विषय पर मास्टरक्लास प्रस्तुत करते हुए चिकित्सकों को मेडिको-लीगल सावधानियों के बारे में जागरूक किया. दोपहर में डॉ सुषांत कुमार ने वर्टिगो पर अपना व्याख्यान रखा, जिसकी विशेषज्ञों ने सराहना की. समापन से पूर्व दो महत्वपूर्ण पेपर सेशन आयोजित हुए. वहीं डॉ एसपी सिन्हा क्विज मेमोरियल आयोजित हुआ. इसमें क्विज मास्टर के रूप में डॉ मोना सरावगी और डॉ प्रियंका कुमारी रहीं. दोपहर बाद पुरस्कार वितरण तथा धन्यवाद प्रस्ताव डॉ रिजवान अहमद द्वारा दिया गया. अंत में जनरल बॉडी मीटिंग और वैलेडिक्टरी फंक्शन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. आयोजकों ने बताया कि इस बार प्रतिभागियों की संख्या अधिक रही और सत्रों की गुणवत्ता सराहनीय रही. समापन अवसर पर अगले वर्ष जमशेदपुर में सम्मेलन आयोजित किए जाने की औपचारिक घोषणा की गई. एम्स बनने के बाद बदलेगी चिकित्सा व्यवस्था, जटिल सर्जरी के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर फोटो. 14 परिचय. डॉ अश्विनी कुमार वर्मा. दरभंगा. दरभंगा में निर्माणाधीन एम्स को लेकर लोगों की उम्मीद बढ़ गई हैं. डीएमसीएच में आयोजित सम्मलेन में शामिल बिहारशरीफ से आए इएनटी विशेषज्ञ डॉ अश्विनी कुमार वर्मा ने कहा कि दरभंगा एम्स उत्तर बिहार के लिए वरदान साबित होगा. वर्तमान में कई गंभीर मामलों में मरीजों को पटना या अन्य राज्यों में जाना पड़ता है, लेकिन एम्स शुरू होने के बाद ये सारी सुविधाएं दरभंगा में उपलब्ध हो जायेगी. उन्होंने जन्म के बाद बच्चों की तुरंत जांच को अत्यंत आवश्यक बताया. कहा कि समय पर जांच होने से कई गंभीर समस्याओं को शुरुआती अवस्था में ही पहचान कर उनका उपचार संभव है. डॉ वर्मा ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ रहा है. नवजातों और छोटे बच्चों में गूंगे और बहरेपन की शिकायत तेजी से बढ़ रही है, इसलिये लोगों को जागरूक रहने, बच्चों को प्रदूषण से बचाने और समय- समय पर श्रवण जांच कराने की अपील की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
