नदियों को जोड़ने की परियाेजना के कार्यान्वयन से मिलेगी बाढ़ से निजात

दरभंगा : सांसद गोपालजी ठाकुर ने शुक्रवार को सदन को बाढ़ की विभीषिका झेल रहे मिथिलावासियों के दर्द से अवगत कराते हुए इसके स्थायी निदान की मांग उठायी. श्री ठाकुर ने कहा कि बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए पूर्व की सरकारों ने विशेष ध्यान नहीं दिया. 1953-54 में बाढ़ से उत्तर बिहार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 20, 2019 5:36 AM

दरभंगा : सांसद गोपालजी ठाकुर ने शुक्रवार को सदन को बाढ़ की विभीषिका झेल रहे मिथिलावासियों के दर्द से अवगत कराते हुए इसके स्थायी निदान की मांग उठायी. श्री ठाकुर ने कहा कि बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए पूर्व की सरकारों ने विशेष ध्यान नहीं दिया. 1953-54 में बाढ़ से उत्तर बिहार को निजात दिलाने के लिए कोसीनदी पर हाय डैम और कोसी परियोजना की शुरुआत की गई थी, लेकिन आज 66 साल बीत जाने के बाद भी समस्या जस की तस है.

श्री ठाकुर ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को दूरदृष्टा बताते हुए कहा कि अटलजी के नदी जोड़ों परियोजना का कार्यान्वयन इस क्षेत्र के लिए अत्यंत लाभदायी होगा. नदियों की उड़ाही कर बाढ़ जैसी आपदा से क्षेत्र को बचाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी आशा और अपेक्षा है.
क्षेत्र की बाढ़ की समस्या का उल्लेख करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में कोसी, कमला, जीवछ, बागमती, बलान, अधवारा समूह की नदियों सहित करेह आदि नदियां प्रवाहित होती हैं. इन दिनों नदियां उफान पर हैं. कमला नदी के पश्चिमी तटबंध के तारडीह, मनीगाछी, घनश्यामपुर, गौड़ाबौराम, अलीनगर, किरतपुर, बेनीपुर, दरभंगा ग्रामीण, कुशेश्वरस्थान पूर्वी एवं कुशेश्वरस्थान प्रखंडों में बाढ़ की विभिषिका है. इस क्षेत्र की लाखों की आबादी विस्थापित हो चुकी हैं. फसल बर्बाद हो गयी हैं. लोग बांधों पर रात गुजारने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार गंभीर है. जिला प्रशासन राहत कार्य में जुटा है.
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों के आर्थोपार्जन का मुख्य साधन कृषि है. बाढ़ और सुखाड़ के कारण प्रत्येक वर्ष यहां फसलों की क्षति होती है. यही कारण है कि उत्तर बिहार के करोड़ों लोगों को पलायन करना पड़ता है. आजादी से अब तक करोड़ों लोग विभिन्न महानगरों को पलायन कर चुके हैं. श्री ठाकुर ने गृहमंत्री की तत्परता को साधुवाद देते हुए सदन के माध्यम से राहत व बचाव कार्य और तेज करने की मांग की.

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