Dr. Randeep Guleria Interview: कोविड के मामले आते रहेंगे, पर नहीं होगी पहले जैसी स्थिति

दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया शनिवार को पटना में थे. वे मेदांता कॉन्क्लेव 2023 में हिस्सा लेने के लिए यहां पहुंचे थे. इस मौके पर प्रभात खबर संवाददाता साकिब खान ने उनसे स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की, पेश है इसके अंश.

By Prabhat Khabar | April 16, 2023 4:37 AM

पटना. दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया शनिवार को पटना में थे. वे मेदांता कॉन्क्लेव 2023 में हिस्सा लेने के लिए यहां पहुंचे थे. इस मौके पर प्रभात खबर संवाददाता साकिब खान ने उनसे स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की, पेश है इसके अंश.

सवाल: क्या कोविड का खतरा अब खत्म हो गया है या पहले जैसी लहर फिर आ सकती है?

जवाब: कोविड के केस तो आते रहेंगे, लेकिन अब पहले जैसी लहर आने की उम्मीद बहुत कम है. अब स्थिति पहले से अलग है. वैक्सीन और संक्रमण के कारण लोगों में इम्युनिटी बन चुकी है. वायरस के बारे में भी अब काफी कुछ पता चल गया है. यह बहुत छोटी बीमारी बन चुकी है. लेकिन, कोविड जायेगा भी नहीं. थोड़े बहुत केस आते रहेंगे और यह अब नॉर्मल फ्लू की तरह रहेगा.

सवाल: बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या कदम उठाने की जरूरत है, ताकि लोगों को बेहतर इलाज के लिए दूसरे राज्य नहीं जाना पड़े .

जवाब: इसके लिए सबसे पहले हेल्थ का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत है. दूसरा तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करना होगा, टेलीमेडिसीन जैसी सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए. अब बीमारियों की प्रोफाइल भी चेंज हो रही है. लाइफ स्टाइल से जुड़ी डायबिटीज और बीपी जैसी बीमारियां ज्यादा हो रही हैं. इनको ध्यान में रखकर नीतियां बनाने की जरूरत है.

सवाल: स्वास्थ्य सेवाएं लगातार महंगी होती जा रही हैं ऐसे में आम आदमी को बेहतर इलाज कैसे मिलेगा.

जवाब- हमें इसके लिए तकनीकी आविष्कार करने की जरूरत है. बेहतर तकनीक का इस्तेमाल तो करें लेकिन उसका खर्च कम हो. क्लीनिकल मेडिसिन पर फोकस करने की जरूरत है. डॉक्टर मरीज के लक्षणों को ध्यान से देखे-समझे और तब जरूरत के मुताबिक जांच लिखें. दोनों के बीच संतुलन जरूरी है.

सवाल: आने वाले वर्षों में तकनीकी विकास के कारण मेडिकल सेक्टर कितना बदलेगा.

जवाब: साइंस का बहुत तेजी से विकास हो रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और बिग डेटा एनालिसिस का इस्तेमाल आने वाले दिनों में बढ़ेगा. तकनीकी विकास से इलाज आसान होगा, लेकिन खर्च बढ़ेगा. हमें समझना होगा कि मेडिसिन साइंस भी है और आर्ट भी है. आप साइंस में तो तरक्की कर रहे हो लेकिन आर्ट नहीं भूलना चाहिए.

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