कोरोना और Lockdown ने बढ़ाई लीची किसानों की टेंशन, इस वजह से हो सकता है लाखों का नुकसान, जानें

Lockdown News in Hindi: मुजफ्फरपुर के शाही लीची का स्वाद दुनिया भर में मशहूर है. इसमें शाही जैविक लीची की बात ही अलग है. विदेशों में इसकी काफी डिमांड है. खास तौर से खाड़ी देश में हर साल कांटी के किसान जैविक लीची भेजते है. लेकिन इस बार कोरोना के वजह से इंटरनेशनल फ्लाइट बंद है. कांटी सहबाजपुर के किसान बबलू कुमार शाही ने बताया कि ओमान लीची भेजने के लिए लाइसेंस बनवाया था.लेकिन कोरोना के कारण एग्रीमेंट नहीं हो पाया. वहां कीमत अच्छी मिलती है. इससे पहले दुबई लीची भेजते थे.

By Prabhat Khabar | May 17, 2021 1:32 PM

मुजफ्फरपुर के शाही लीची का स्वाद दुनिया भर में मशहूर है. इसमें शाही जैविक लीची की बात ही अलग है. विदेशों में इसकी काफी डिमांड है. खास तौर से खाड़ी देश में हर साल कांटी के किसान जैविक लीची भेजते है. लेकिन इस बार कोरोना के वजह से इंटरनेशनल फ्लाइट बंद है. कांटी सहबाजपुर के किसान बबलू कुमार शाही ने बताया कि ओमान लीची भेजने के लिए लाइसेंस बनवाया था.लेकिन कोरोना के कारण एग्रीमेंट नहीं हो पाया. वहां कीमत अच्छी मिलती है. इससे पहले दुबई लीची भेजते थे.

जैविक लीची के लिए बंगलोर, हैदराबाद मुबंई दिल्ली के कारोबारी हमलोग के संपर्क में है. इस बार फल का साइज पिछले दो तीन साल में सबसे बेहतर है. 22 से 25 मई तक लीची पूरी तरह तैयार हो जायेगा. फिलहाल लीची कर नीम की पानी का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि अंतिम समय में लीची पर कीट का प्रकोप नहीं हो. बता दें कि जैविक लीची में जमीन से लेकर स्प्रे तक किसान केमिकल का उपयोग नहीं करते है. इसके वजह से इसका सुगंध और स्वाद बेहतरीन है.

90 से 100 रुपये का किलो बिकता है जैविक लीची- दूसरे प्रदेश के कारोबारी जैविक लीची 90 से 100 रुपये किलो के दर से किसान से खरीद करते है. मार्केट के मांग के हिसाब से मॉल से लेकर खुली बाजार में बेचते है. दरअसल अभी जिले में इसका उत्पादन कम हो रहा है. करीब 12 हजार हेक्टेयर भूमि पर लीची के बाग है. इस बार कुछ पेड़ों पर काफी बेहतरीन मंजर और दाने निकल हैं तो बड़ी संख्या में लीची के पौधों में बिल्कुल मंजर नहीं निकले है.

लगभग पचास प्रतिशत पेड़ों में या तो फलन नहीं आए या फिर काफी कम फलन हैं.किसानों के अनुसार बागों में नियमित सिंचाई के साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों (जैविक) प्रयोग किया गया है. समय पूरा होने के साथ शाही लीची में सुगंध (एरोमा) भी आ गया है. बारि के कारण लीची में लाली आ गयी है. मिठास भी आ गया है.

Also Read: Coronavirus in Bihar : बिहार में कम हुई कोरोना की रफ्तार, संक्रमण दर घटकर एक माह पहले के स्तर पर

Posted By : Avinish Kumar Mishra

Next Article

Exit mobile version