बिहार के अधिकतर पुस्तकालय की हालत दयनीय, छह जिलों में कोई सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं, रिपोर्ट से हुआ खुलासा

पुस्तकालय समिति ने राज्य के 6 जिलों में - कैमूर, अरवल, शिवहर, बांका, शेखपुरा व किशनगंज में एक भी पुस्तकालय नहीं पाया. बाकी 32 जिलों में जो पुस्तकालय हैं, उनमें 51 की सूची विधानसभा की समिति को प्राप्त हुआ.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 13, 2022 7:57 PM

पटना. भाकपा-माले के विधायक व बिहार विधानसभा पुस्तकालय समिति के सभापति सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में विधानसभा के सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार प्रतिवेदन पेश किया गया. सुदामा प्रसाद ने कहा कि यह संभवतः देश में भी पहला प्रतिवेदन है.

विदित हो कि इस बार के विधानसभा में पुस्तकालय समिति भाकपा-माले के कोटे में आई है, जिसमें सुदामा प्रसाद को सभापति बनाया गया है. पालीगंज विधायक संदीप सौरभ भी इसके एक सदस्य हैं.

सुदामा प्रसाद ने कहा कि बिहार में कार्यरत 540 में से 51 सार्वजनिक क्षेत्र के पुस्तकालयों को लेकर यह प्रतिवेदन है, जिसमें पुस्तकों व आधारभूत संरचनाओं की गहरी जांच-पड़ताल की गई है.

पुस्तकालय समिति ने राज्य के 6 जिलों में – कैमूर, अरवल, शिवहर, बांका, शेखपुरा व किशनगंज में एक भी पुस्तकालय नहीं पाया. बाकी 32 जिलों में जो पुस्तकालय हैं, उनमें 51 की सूची विधानसभा की समिति को प्राप्त हुआ. इन 51 पुस्तकालयों में समिति ने पाया कि अधिकांश पुस्तकालयों की स्थिति बेहद खराब है.

आधारभूत संरचनाएं ध्वस्त हैं. पुस्तकों का अभाव है. कुर्सी-टेबल, फर्नीचर, पढ़ने की जगह आदि का घोर अभाव है. लाइब्रेरियन की भारी किल्लत है. शौचालय आदि सुविधायें नदारद हैं. इसको लेकर समिति ने पुस्तकालयों की स्थिति में सुधार लाने के लिए अपनी अनुशंसाएं विधानसभा के पटल पर रखी.

आगे कहा कि शिक्षा के माहौल के निर्माण में पुस्तकालयों की बड़ी भूमिका होती है. इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इस पर त्वरित कार्रवाई करे ताकि शिक्षा की लगातार गिरती व्यवस्था व क्षरण पर रोक लगाई जा सके.

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