buxar news : दो विभागों के बीच उलझी है जिले की पांच सड़कों के चौड़ीकरण की योजना

buxar news : प्रगति यात्रा के दौरान सीएम ने चौड़ीकरण के लिए "55 करोड़ की दी थी स्वीकृतिनौ महीने बाद भी वन विभाग और पथ निर्माण विभाग के पत्राचार में रुका है काम

By SHAILESH KUMAR | November 25, 2025 10:05 PM

buxar news : बक्सर. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के दौरान जिले में पांच महत्वपूर्ण सड़कों के चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण के लिए करीब 55 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गयी थी.

उम्मीद थी कि स्वीकृति मिलते ही कार्य तेजी से शुरू होगा और शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन बेहतर होगा. लेकिन लगभग नौ माह बीत जाने के बाद भी एक भी योजना जमीन पर उतर नहीं पायी है. कारण वन विभाग और पथ निर्माण विभाग के बीच लगातार चल रहा पत्राचार, वन भूमि के बदले गैर वन भूमि उपलब्ध न होना और कई परियोजनाओं में निविदा प्रक्रिया तक पूर्ण न होना. विभागीय सूत्रों के अनुसार, सबसे महत्वपूर्ण योजना बक्सर गोलंबर से ज्योति चौक तक सड़क चौड़ीकरण की है. इस मार्ग के लिए 4152.985 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गयी थी. चौड़ीकरण के साथ सड़क के दोनों ओर नाला निर्माण भी प्रस्तावित था. लेकिन जब प्रभात खबर की टीम ने कागजातों की पड़ताल की, तो पता चला कि नाला निर्माण को लेकर विभागीय रिपोर्ट में विसंगतियां दर्ज हैं.

साथ ही इस सड़क के एक हिस्से में वन भूमि होने के कारण वन विभाग ने 2.915 हेक्टेयर गैर वन भूमि के बदले देने की मांग की है. नौ महीने बीतने के बाद भी भूमि उपलब्ध न होने से वन विभाग ने अभी तक एनओसी जारी नहीं किया है, जिसके चलते कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा है. इसी प्रकार, एनएच-922 से प्रखंड कार्यालय ब्रह्मपुर भाया बरमेश्वर नाथ मंदिर तक सड़क चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण के लिए 1974.27 लाख रुपये की स्वीकृति मिली थी. पथ निर्माण विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मार्ग के किनारे नाला निर्माण का कार्य दिखाया गया है, जबकि वास्तविकता में कार्य शुरू ही नहीं हो पाया.

वन भूमि का मामला इस सड़क पर भी अटका है और विभाग द्वारा मांगी गयी भूमि आज तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है. इसी श्रेणी में भोजपुरी-सिमरी पथ का चौड़ीकरण भी शामिल है. इस सड़क के लिए 5197.50 लाख रुपये की स्वीकृति दी गयी थी. परियोजना में वन विभाग ने 4.8250 हेक्टेयर गैर वन भूमि मांगी है, लेकिन जमीन उपलब्ध न होने के कारण विभाग ने एनओसी जारी नहीं किया है. परिणामस्वरूप यह योजना भी फाइलों में ही रुकी पड़ी है. एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना धनसोई बाजार–2 लेन बाइपास निर्माण की है, जिसके लिए 8767.94 लाख रुपये के बजट को मंजूरी दी गयी थी. यह बाइपास क्षेत्र के यातायात दबाव को काफी हद तक कम कर सकता है. लेकिन, आश्चर्य की बात है कि नौ महीनों में निविदा प्रक्रिया तक पूरी नहीं की गयी.

विभागीय कार्यवाही के अभाव में यह योजना भी ठप पड़ी हुई है. इसी तरह शहर की भीड़भाड़ कम करने के लिए बड़ी मस्जिद से सेंट्रल जेल तक सड़क चौड़ीकरण और नाला निर्माण के लिए 3680.36 लाख रुपये की स्वीकृति दी गयी थी. इस मार्ग पर संवेदक द्वारा गैर वन भूमि वाले हिस्से में कुछ प्राथमिक कार्य शुरू किये गये हैं. लेकिन जैसे ही सड़क का वनभूमि वाला हिस्सा आता है, काम रुक जाता है. वन विभाग ने इस योजना के लिए 2.9510 हेक्टेयर गैर वन भूमि देने की मांग की है. लेकिन आज तक यह जमीन भी उपलब्ध नहीं हो पायी है, जिससे एनओसी जारी नहीं किया जा सका.

मुख्यमंत्री द्वारा घोषित सभी पांचों परियोजनाएं भूमि उपलब्धता, वन विभाग की सहमति और विभागीय पत्राचार में उलझी हुई हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कों की चौड़ाई कम होने, नाला व्यवस्था खराब होने और लगातार जाम की समस्या से जनता परेशान है. मुख्यमंत्री की घोषणा के नौ महीने हो चुके हैं, लेकिन निर्माण कार्य की शुरुआत तक नहीं हो सकी. विभागों के बीच तालमेल की कमी और प्रक्रियागत देरी के कारण करोड़ों की योजनाओं पर अब तक कोई प्रगति नहीं दिखायी दे रही है.

भूमि उपलब्ध होते ही दे दिया जायेगा एनओसी

वन विभाग के रेंजर सुरेश कुमार ने कहा कि पथ के चौड़ीकरण में जो वनभूमि का समायोजन हो रहा है, उसे वन भूमि अधिनियम 1990 के तहत अभी तक पथ निर्माण विभाग द्वारा भूमि उपलब्ध नहीं करायी गयी है. जैसे ही भूमि उपलब्ध करा दी जायेगी, वैसे ही वन विभाग द्वारा पथ निर्माण विभाग को एनओसी दे दिया जायेगा.

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