Buxar News : खेत में पराली जलाने वाले किसानों का निबंधन होगा रद्द
राजपुर प्रखंड की सभी पंचायतों में धान की कटनी शुरू हो गयी है और अब तक करीब 10 प्रतिशत कटनी ही हो सकी है.
राजपुर. प्रखंड की सभी पंचायतों में धान की कटनी शुरू हो गयी है और अब तक करीब 10 प्रतिशत कटनी ही हो सकी है. फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है ताकि पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगायी जा सके. बीएओ ऋषिकेश यादव ने बताया कि किसानों को पराली नहीं जलाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है. इसके लिए कृषि सलाहकार और कृषि समन्वयक गांव-गांव में पहुंच कर किसानों को पराली के वैकल्पिक उपयोग के बारे में समझा रहे हैं.
किसानों को बताया जा रहा है कि पराली को जलाने के बजाय इसे इकट्ठा कर पशु चारा के रूप में इस्तेमाल करें. साथ ही बचे हुए अवशेष को खेतों में ही हैप्पी सीडर अथवा वेस्ट डी कंपोजर के माध्यम से जैविक खाद में बदलने की अपील की जा रही है. इसके बावजूद कई किसान जल्दबाजी में चोरी-छिपे पराली जला रहे हैं. ऐसी गतिविधियों की निगरानी सेटेलाइट से की जा रही है. प्रशासन ने साफ किया है कि जिन किसानों के खेतों में पराली जलाने की पुष्टि होगी, उनका निबंधन रद्द कर दिया जायेगा. साथ ही अगले तीन वर्षों तक उन्हें किसी भी कृषि योजना का लाभ नहीं मिलेगा. इसका सीधा असर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, बीज अनुदान, कृषि यंत्रों पर अनुदान और पैक्स इकाइयों में धान बिक्री पर पड़ेगा. निबंधन लॉक हो जाने के बाद किसान इन सभी सुविधाओं से वंचित हो जायेंगे. अधिकारी ने कहा कि पराली जलाने से खेतों के लाभकारी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता प्रभावित होती है. पराली के धुएं से सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन तथा नाक और गले की समस्या बढ़ जाती है. बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर जलवायु पर पड़ रहा है, जिसके कारण फसलों की उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है. ऐसे में किसानों से अपील की गयी है कि वे पराली न जलाएं और धरती को प्रदूषण से बचाने में अपनी भूमिका निभाएं.
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