buxar news : वर्मी कंपोस्ट योजना का लाभ देने का लक्ष्य 346, आवेदन आये महज 68

buxar news : वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए प्रोत्साहित करने में पिछड़ा जिलाजानकारी के अभाव में आवेदन नहीं कर सके किसानचार प्रखंडों से नहीं आया एक भी आवेदन

By SHAILESH KUMAR | November 16, 2025 10:04 PM

बक्सर. मिट्टी, फसल और किसान तीनों के लिए वर्मी कंपोस्ट योजना लाभदायक है, लेकिन जागरूकता के अभाव में वित्तीय वर्ष 25-26 में कृषि विभाग को 346 का लक्ष्य प्राप्त हुआ था.

उसके लिए विभाग ने जून से जुलाई तक आवेदन मांगा गया था, लेकिन जानकारी के अभाव में 68 आवेदन प्राप्त हुआ. विभागीय जानकारी के अनुसार आज तक 25 बन गया है. यह योजना जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया, लेकिन जानकारी के अभाव में यह योजना धरातल पर नहीं उतर रहा है. अगर आने वाले वित्तीय वर्षों में विभाग योजना को गांव-गांव तक सही तरीके से पहुंचाये, तो जिला जैविक खेती में प्रदेश के अग्रणी जिलों में शामिल हो सकता है. जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा संचालित वर्मी कंपोस्ट इकाई योजना इस वर्ष अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गयी. कृषि विभाग द्वारा बक्सर जिले को वर्मी कंपोस्ट निर्माण इकाई के लिए कुल 346 लाभार्थियों का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन निर्धारित समय सीमा समाप्त होने तक विभाग को सिर्फ 68 आवेदन ही प्राप्त हो सके. लक्ष्य की तुलना में यह संख्या बेहद कम है, जो योजना के क्रियान्वयन और किसानों तक इसकी पहुंच दोनों के लिए चिंता की बात है.

जानकारी के अभाव में पिछड़ गयी योजना

जिले के किसानों की माने, तो आवेदन कम मिलने का प्रमुख कारण जागरूकता का अभाव है. अधिकांश किसान अब भी यह नहीं जानते कि सरकार वर्मी कंपोस्ट निर्माण के लिए आर्थिक सहायता, तकनीकी समर्थन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है. गांवों में रहने वाले छोटे व सीमांत किसान पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों पर ही निर्भर हैं और जैविक विकल्पों की जानकारी न होने के कारण योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. उमरपुर के किसान विजय बहादुर राय का कहना है कि केवल सीमित किसानों को जानकारी दी जाती है. जो किसान सलाहकार कृषि समन्वयक के नजदीकी हैं, उन्हें केवल जानकारी दी जाती है और उन्हें ही विभाग द्वारा संचारित योजनाओं का लाभ मिलता है. कई किसानों ने बताया कि उन्हें आवेदन की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद पता चला कि ऐसी कोई योजना चल रही थी, जिसमें उन्हें सब्सिडी पर वर्मी कंपोस्ट यूनिट बनाने का अवसर मिल सकता था.

जैविक खेती बन सकती है किसानों की आमदनी का मजबूत आधार

जिले में सब्जी, दलहन और तिलहन की खेती बड़े पैमाने पर होती है. वर्मी कंपोस्ट जैसे जैविक खाद का उपयोग फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में बेहद उपयोगी माना जाता है. कृषि वैज्ञानिकों देवकरण का कहना है कि यदि किसान रासायनिक उर्वरकों से हटकर वर्मी कंपोस्ट का नियमित उपयोग करें, तो उत्पादन में 10 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि सहज संभव है. साथ ही, इससे मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बरकरार रहती है. इसके अलावा किसान वर्मी कंपोस्ट बेचकर भी अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं. कई राज्यों में जैविक खाद की मांग तेजी से बढ़ रही है. वहां के किसान वर्मी खाद को आय का एक मजबूत स्रोत बना चुके हैं. ऐसे में बक्सर के किसानों के लिए भी यह सुनहरा अवसर था, जिसे वे आवेदन न मिलने के कारण खो बैठे. योजना की विफलता का दूसरा बड़ा कारण पंचायत स्तर पर आवेदन पत्रों का उपलब्ध न होना बताया गया है. इधर डीएओ धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि जिन किसानों को वर्मी किट बनाने के लिए परिमट दिया गया है, उनसे संपर्क करके जल्द बनाएं, ताकि समय से विभाग से निर्देश प्राप्त होने के बाद आगे के कार्रवाई की जा सके.

प्रखंडवार आवेदनों की संख्या

सिमरी : 45बक्सर : 08राजपुर : 06ब्रह्मपुर : 01डुमरांव : 03चौसा : 01इटाढ़ी : 4

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