Buxar News : रमाकांत हत्याकांड में सात नामजद, दो आरोपित जेल भेजे गये, घटनास्थल से आठ खोखे, दो कारतूस बरामद
राजपुर थाना क्षेत्र के रसेन गांव में सोमवार की शाम हुए हत्याकांड के मामले में पुलिस ने घायल विजय शंकर चौबे के फर्द बयान के आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी है.
राजपुर. राजपुर थाना क्षेत्र के रसेन गांव में सोमवार की शाम हुए हत्याकांड के मामले में पुलिस ने घायल विजय शंकर चौबे के फर्द बयान के आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी है. इस मामले में अहियापुर गांव के सात लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है. नामजद आरोपितों में अजीत यादव और गुड्डू यादव दोनों पिता वीरेंद्र सिंह, सोनू यादव और मोनू यादव दोनों पिता शिवशंकर सिंह, श्री यादव, अमित यादव और सिकंदर यादव शामिल हैं. इसके अलावा कई अज्ञात लोगों को भी आरोपित बनाया गया है. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सोनू यादव और उनके पिता श्री उर्फ शिवशंकर यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. थानाध्यक्ष निवास कुमार ने बताया कि पीड़ित के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है और अन्य आरोपितों की भूमिका की गहन जांच की जा रही है. घटनास्थल पर जांच के लिए पहुंची एसएफएल टीम ने सात एमएम पिस्टल के आठ खोखे और दो मिस कारतूस बरामद किये हैं. इन साक्ष्यों की वैज्ञानिक जांच की जा रही है. विदित हो कि सोमवार की शाम रमाकांत पाठक और विजय शंकर चौबे टहलने निकले थे. इसी दौरान उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी गयी. इस घटना में रमाकांत पाठक की मौके पर ही मौत हो गयी. वहीं घायल विजय शंकर चौबे का इलाज बक्सर सदर अस्पताल में चल रहा है.
अहियापुर ट्रिपल हत्याकांड में पीड़ित परिजनों पर लगे आरोप
अहियापुर गांव में बालू-गिट्टी रखने के विवाद को लेकर 24 मई को हुए ट्रिपल हत्याकांड को लेकर अब पीड़ित परिजनों पर ही आरोप लगने लगे हैं. इस घटना में अजीत के पिता वीरेंद्र सिंह, चाचा विनोद सिंह और सुनील सिंह की घटनास्थल पर ही निर्मम हत्या कर दी गयी थी. वहीं इसी घटना में परिवार के दो अन्य सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गये थे. इनमें से एक व्यक्ति का इलाज के दौरान पैर काटना पड़ा, जबकि दूसरा व्यक्ति आज भी अपाहिज जैसी जिंदगी जीने को मजबूर है. इस मामले में अजीत की ओर से राजपुर थाने में 19 नामजद और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. एफआइआर में मुख्य आरोपित के रूप में पूर्व जिला पार्षद अध्यक्ष सविता देवी के पति मनोज यादव, पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष संतोष यादव और बटेश्वर यादव का नाम शामिल था. घटना के कुछ महीनों बाद पुलिस ने डिमांड पर लेकर कुछ आरोपितों से पूछताछ जरूर की, लेकिन अब तक घटना में प्रयुक्त हथियार बरामद नहीं किया जा सका है. हालांकि पुलिस दबाव के कारण कुछ आरोपितों ने आत्मसमर्पण किया था. इससे पहले पुलिस ने कुर्की जब्ती की कार्रवाई भी की थी, जिसके बाद मुख्य आरोपितों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया. बावजूद इसके अब तक हथियार की बरामदगी नहीं होने से पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं.अजीत ने उठायी सीबीआइ जांच की मांग
राजपुर थाना क्षेत्र से जुड़े हालिया घटनाक्रम में नाम आने के बाद अजीत ने एक वीडियो बयान जारी कर पूरे मामले को साजिश करार दिया है. अजीत ने कहा कि पिछले कई महीनों से केस को मैनेज करने के लिए लगातार धमकियां दी जा रही हैं. तिहरे हत्याकांड के बाद से ही पूरे परिवार पर दबाव बनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आगामी 23 दिसंबर को कोर्ट में चार्जशीट और गवाही की तारीख नजदीक आते ही धमकियां और तेज हो गयी हैं. अजीत ने कहा कि सुरक्षा के लिए सरकारी गार्ड की तैनाती पहले से है. बावजूद इसके इस घटना में उनका नाम आना कई सवाल खड़े करता है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे कहा गया कि अगर केस वापस ले लिया जाये तो दो करोड़ रुपये और 10 बीघा जमीन दी जायेगी. मना करने पर पांच करोड़ रुपये और 15 बीघा जमीन का लालच दिया गया. उन्होंने साफ इनकार कर दिया. इसके बाद सुनियोजित साजिश के तहत उन्हें इस मामले में फंसाने की कोशिश की गयी. अजीत का कहना है कि घटना से पहले और बाद तक सरकारी गार्ड उनके साथ मौजूद थे. इसके बावजूद पुलिस बिना सूचना दिये उनके भाई सोनू को घर से उठाकर ले गयी. इसे केस को कमजोर करने की चाल बताया गया है. अजीत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से सीबीआइ जांच की मांग की है. साथ ही डीजीपी विजय कुमार से केस को एसटीएफ के हवाले करने और एसपी शुभम आर्य, डीआइजी समेत अन्य अधिकारियों से उचित कार्रवाई व परिवार की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है. सात महीने बाद जब केस की सुनवाई होने जा रही है, तब इस हत्याकांड को नयी साजिश बताया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
