BUXAR Election News : ब्रह्मपुर के राजनीतिक समीकरण बदलने से दिलचस्प हुआ चुनाव

बक्सर. जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में से ब्रह्मपुर सीट राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

By SHAH ABID HUSSAIN | November 2, 2025 10:39 PM

BUXAR Election News : बक्सर. जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में से ब्रह्मपुर सीट राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के शंभुनाथ यादव ने निकटतम प्रतिद्वंदी लोजपा के हुलास पांडेय को 51,141 मतों के भारी अंतर से हराकर इस सीट पर कब्जा जमा लिया था. शंभुनाथ यादव पहली बार 2015 के चुनाव में विजयी होकर विधानसभा पहुंचे थे. लगातार दो बार विधायक रहने के बाद अब उनके खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी का असर दिख रहा है. वहीं, राजनीतिक समीकरण में हुए बदलाव से इस बार मुकाबला और भी चुनौतीपूर्ण बन गया है, और लोजपा के हुलास पांडेय उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. 2020 के चुनाव में शंभुनाथ यादव को 90,176 और हुलास पांडेय को 39,035 मत प्राप्त हुए थे. उसी चुनाव में वीआठपी के जयराज चौधरी को 30,482, बहुजन समाज पार्टी के जटाधारी को 5,484, निर्दलीय भरत शर्मा को 3,379, जेकेपीएल के परमानंद यादव को 3,182, मनीष भूषण ओझा को 2,863, निलेश कुमार राहुल को 2,497, आरडीयू पार्टी के अनिल कुमार राय को 1,859, वीएसपी के रमेश कुमार को 1,197, पीपी पार्टी के निरंजन कुमार सिंह को 925, तेजनारायण तिवारी को 866, जेजीजेपी के कमलकांत सिंह को 693 और आरजेएस के रंजन कुमार तिवारी को 465 मत प्राप्त हुए थे. इस बार राजनीतिक समीकरण में बदलाव हुआ है. 2020 में लोजपा भाजपा-नेतृत्व वाले एनडीए से अलग थी, जबकि वीआइपी एनडीए के घटक के रूप में चुनाव लड़ रही थी. अब उलटा समीकरण बन गया है.

शंभुनाथ vs हुलास के बीच मुकाबला

मुकेश सहनी की वीआइपी इस बार महागठबंधन का हिस्सा बनकर राजद के शंभुनाथ यादव के साथ खड़ी है. वहीं भाजपा और एनडीए के अन्य घटक दल हुलास पांडेय का समर्थन कर रहे हैं. यह बदलाव चुनावी गणित को पूरी तरह बदल चुका है और मुकाबला और दिलचस्प बन गया है. दोनों गठबंधन अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं. एनडीए नेता शंभुनाथ यादव की नाकामियों को उजागर कर रहे हैं और जनता को याद दिला रहे हैं कि ब्रह्मपुर में विकास कार्य अधूरी रह गये हैं. वहीं महागठबंधन के नेता तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपने पारंपरिक मतदाताओं को गोलबंद करने में लगे हैं. इस बार का मुकाबला पिछली बार से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण और रोचक माना जा रहा है.

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