बिहार के पेट्रोल पंपों पर शुरू होगा पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल का मिश्रण, प्रदूषण में आएगी कमी

इथेनाॅल उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने इथेनाॅल पर लगने वाले जीएसटी की दर को 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया है. बिहार में मक्के की पैदावार जबरदस्त होती ही है. सीजन में किसानों को औने-पौने दाम पर मक्का बेचना पड़ता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2023 3:30 AM

कैलाशपति मिश्र,पटना: बिहार में भी पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनाॅल का मिश्रण शुुरू हो गया है. अभी पटना के जीरो माइल स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के पेट्रोल पंप पर 20 फीसदी इथेनाॅल मिश्रित पेट्रोल मिल रहा है. धीरे-धीरे पटना-गया और पटना-मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय मार्ग पर अवस्थित पेट्रोल पंपों पर 20 फीसद इथेनाॅल ब्लेंडिंग की जायेगी. फिलहाल बिहार समेत पूरे देश में पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनाॅल की ब्लेडिंग होती है. जहां तक बिहार में इथेनॉल के उत्पादन का सवाल है, तो अभी चीनी मिलों की डिस्टलरीज में करीब 12 करोड़ लीटर सालाना होता है.

17 इथेनॉल उत्पादन यूनिट को मंजूरी

बिहार की नयी इथेनॉल पॉलिसी आने बाद राज्य सरकार ने 17 इथेनॉल उत्पादन यूनिट को मंजूरी दी है. केंद्र सरकार ने पेट्रोल में 10 फीसदी एथनाल मिश्रण के लक्ष्य को समय से पहले पूरा हो जाने से उत्साहित होकर 20 फीसदी के लक्ष्य को भी समय पूर्व पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह फरवरी को इसकी शुुरुआत की है.

देश में 328 करोड़ और बिहार में 36 करोड़ लीटर इथेनॉल अनाज से बनेगा

केंद्र सरकार ने नयी ग्रेनबेस्ड इथेनॉल उत्पादन पॉलिसी के तहत देश के साथ-साथ राज्यों के लिए भी इथेनॉल का कोटा तय किया गया है. देश में 328 करोड़ लीटर और बिहार में 36 करोड़ लीटर अनाज से इथेनॉल का उत्पादन करने का कोटा तय किया गया है, जबकि राज्य सरकार द्वारा तैयार करवायी गयी एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 172 करोड़ लीटर सालाना इथेनॉल उत्पादन की क्षमता है. बिहार में मुजफ्फरपुर, भोजपुर, नालंदा, पूर्णिया, बक्सर, बेगूसराय, मधुबनी, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण और भागलपुर में इथेनॉल प्लांट लगाये जा रहे हैं.

पूर्णिया की इंस्टर्न इंडिया बॉयोफ्यूल कंपनी में उत्पाद शुरू हो गया है. इस यूनिट में प्रतिदिन 65000 लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है. अनाज और उसकी फसलों से तैयार होने वाले इथनाॅल में धान की पराली, कपास के डंठल और मक्के के समूचे पौधे और गन्ने की खोई का उपयोग धड़ल्ले से किया जायेगा, जबकि पर्याप्त स्टार्च वाली फसल मक्का, कसावा, सड़े आलू के साथ खराब अनाज, टूटा चावल और अन्य फसलों की पराली का प्रयोग किया जा रहा है.

प्रदूषण में आएगी कमी और किसानों की बढ़ेगी आमदनी

इथेनाॅल उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने इथेनाॅल पर लगने वाले जीएसटी की दर को 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया है. बिहार में मक्के की पैदावार जबरदस्त होती ही है. सीजन में किसानों को औने-पौने दाम पर मक्का बेचना पड़ता है. यानी जिसे अर्थशास्त्र की भाषा में डिस्ट्रेस सेलिंग कहते हैं. अब इथेनॉल इकाइयां किसानों से उचित कीमत पर मक्के की खरीदारी करेंगी. इथेनॉल मिले हुए ईंधन की कारें या अन्य वाहन जब चलेंगे, तो वो कम वायु प्रदूषण करेंगे.

तेल आयात होगा कम 

भारत सरकार जितना तेल बाहर से आयात करती है, उसकी मात्रा इसकी वजह से कम होगी. उल्लेखनीय है कि भारत ने 2021 में 551 बिलियन डॉलर का पेट्रोलियम बाहर से आयात किया. इ 20 पेट्रोल से देश इसमें चार बिलियन डॉलर यानी हर साल 30000 करोड़ रुपये बचा सकेगा.

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