Bihar Panchayat Chunav: बिहार पंचायत चुनाव में काउंटिग होगी हाईटेक,धांधली रोकने के लिए OCR तकनीक लाएगी नीतीश सरकार
Bihar Panchayat Chunav : बिहार पंचायत चुनाव 2026 को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं और इस बार चुनावी प्रक्रिया में एक बड़ा तकनीकी बदलाव देखने को मिलेगा. मतगणना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन यानी OCR तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
Bihar Panchayat Chunav : बिहार में पहली बार काउंटिग के दौरान हाईटेक तकनीक से होगी निगरानी. राज्य में 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर नीतीश सरकार ने एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक खेला है, जो चुनावी धांधली और गिनती के दौरान होने वाले विवादों को हमेशा के लिए खत्म कर सकता है.
इस बार बिहार पंचायत चुनाव में वोटों की गिनती में ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा.
ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) टेक्नोलॉजी क्या है?
ओसीआर(OCR) एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जो लिखित या छपे हुए डेटा को डिजिटल प्रारूप में बदलकर पहचानती है. मतगणना केंद्रों पर जब वोटों की गिनती होगी, तब कैमरों के माध्यम से ओसीआर तकनीक हर रिकॉर्ड को स्कैन करेगी.
मंत्री दीपक प्रकाश के अनुसार, यदि किसी प्रत्याशी या जनता को परिणामों को लेकर रत्ती भर भी संदेह होता है, तो इस तकनीक के माध्यम से डेटा को दोबारा ‘री-चेक’ किया जा सकेगा. यह सिस्टम न केवल परिणामों में पारदर्शिता लाएगा बल्कि चुनाव के बाद होने वाले कानूनी मुकदमों की संख्या को भी न्यूनतम कर देगा.
सरकार का मानना है कि जैसे देश में बैलेट पेपर की जगह ईवीएम ने ली, वैसे ही अब पंचायत स्तर पर ओसीआर तकनीक विश्वास बहाली का काम करेगी.
मतगणना में तकनीक से खत्म होगी धांधली की गुंजाइश
पंचायत चुनावों में मतगणना हमेशा से विवाद का बड़ा कारण रही है. कई बार धांधली के आरोप लगे, नतीजों को लेकर संदेह खड़े हुए और मामला अदालत तक पहुंचा. इन आशंकाओं को खत्म करने के लिए इस बार मतगणना के दौरान OCR तकनीक का सहारा लिया जाएगा. यह तकनीक मतगणना के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से पढ़ने और सत्यापित करने में मदद करेगी, जिससे मानवीय त्रुटि और हेरफेर की संभावना कम होगी.
मतगणना पूरी तरह डिजिटल नहीं होगी. मैनुअल गिनती की प्रक्रिया जारी रहेगी,लेकिन उसके साथ कैमरों की निगरानी और OCR आधारित रिकॉर्डिंग भी की जाएगी. अगर किसी प्रत्याशी या आम नागरिक को नतीजों पर संदेह होगा, तो उसी डेटा के आधार पर दोबारा जांच की जा सकेगी. इससे चुनाव परिणामों को लेकर उठने वाले सवालों पर विराम लगने की उम्मीद है.
सिस्टम में बढ़ेगा भरोसा
पंचायती राज मंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है ताकि लोगों का भरोसा चुनावी व्यवस्था पर मजबूत हो. उन्होंने कहा कि जैसे आम चुनावों में बैलेट की जगह ईवीएम लाई गई, वैसे ही पंचायत चुनाव में भी एक कदम आगे बढ़ाया जा रहा है. उनके मुताबिक तकनीक से पारदर्शिता बढ़ती है, भ्रष्टाचार पर लगाम लगती है और व्यवस्था में विश्वास कायम होता है.
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस बार पंचायत चुनाव मल्टी पोस्ट ईवीएम के जरिए कराए जाएंगे. इससे एक ही मशीन से अलग-अलग पदों के लिए मतदान संभव होगा और पूरी प्रक्रिया ज्यादा सुचारु व पारदर्शी बनेगी. आयोग ने यह भी दोहराया है कि पंचायतों में आरक्षण से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं संविधान और पंचायत अधिनियम के तहत ही पूरी की जाएंगी.
सोशल मीडिया की अफवाहों से दूरी की सलाह
आरक्षण को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर आयोग ने ध्यान न देने की अपील की है. आयोग के मुताबिक एससी, एसटी, ओबीसी, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए तय आरक्षण का पूरी तरह पालन किया जाएगा. वहीं, मंत्री के बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं, जहां कई यूजर्स ने तकनीक के साथ-साथ जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म करने की मांग उठाई है.
