Bihar News: गांव की पंचायत में ही मिलेगी बीपी-शुगर की दवा मुफ्त, जानें क्या है सरकार की नई स्कीम

Bihar News: अब बीमारी के साथ अस्पताल तक दौड़ने की मजबूरी धीरे-धीरे खत्म होने वाली है. बिहार में इलाज और दवा की राह अब पंचायत से ही शुरू होगी, जहां बीपी–शुगर जैसी बीमारियों की दवा एक महीने तक मुफ्त मिलेगी.

By Pratyush Prashant | December 22, 2025 11:49 AM

Bihar News: बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग राज्य के सबसे अंतिम छोर पर रहने वाले लोगों तक निःशुल्क दवा पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है. इसके लिए स्वास्थ्य उपकेंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बदला जा रहा है और उन्हें ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम यानी डीवीडीएमएस से जोड़ा जा रहा है.

इसका मकसद है कि दवाओं की उपलब्धता कागजों में नहीं, जमीन पर दिखे.

डिजिटल मैपिंग से मजबूत होगी दवा आपूर्ति

राज्य में अब तक 13,856 स्वास्थ्य संस्थानों को डीवीडीएमएस से सूचीबद्ध किया जा चुका है. इसमें हजारों स्वास्थ्य उपकेंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं. इस डिजिटल व्यवस्था से हर स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत के मुताबिक दवा की मांग और आपूर्ति को ट्रैक किया जा सकेगा. विभाग का मानना है कि जब मैपिंग मजबूत होगी, तभी दवा की किल्लत की शिकायतें कम होंगी.

सरकार की मंशा है कि आम बीमारियों का इलाज पंचायत स्तर पर ही हो जाए. बीपी, शुगर और अन्य गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर की जा रही है. मरीजों को एक बार में 30 दिनों की दवा दी जा रही है, ताकि बार-बार अस्पताल आने की जरूरत न पड़े। इससे जिला और प्रखंड अस्पतालों पर दबाव भी घटेगा और मरीजों का समय व पैसा दोनों बचेगा.

किस केंद्र पर कितनी दवाएं उपलब्ध

डीवीडीएमएस से जुड़ने के बाद हर स्तर के स्वास्थ्य केंद्र के लिए दवाओं की संख्या तय की गई है. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर सौ प्रकार की दवाएं, स्वास्थ्य उपकेंद्र पर 25 तरह की दवाएं और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 120 से 130 तरह की दवाएं रखने के निर्देश हैं. इससे इलाज की निरंतरता बनी रहेगी और मरीज को बाहर से दवा खरीदने की मजबूरी नहीं होगी.

निशुल्क ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन के मामले में बिहार लगातार देश में आगे बना हुआ है. नवंबर महीने में भी राज्य ने इस मामले में शीर्ष स्थान हासिल किया है. बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए बिहार ने 81 प्रतिशत से अधिक स्कोर किया है, जिसे स्वास्थ्य विभाग अपनी योजनाओं की सफलता मान रहा है.

170 औषधि वाहन, दवा की समय पर डिलीवरी

दवाओं की आपूर्ति को जमीन तक पहुंचाने के लिए राज्य में 170 औषधि वाहन लगातार काम कर रहे हैं. जिला से ब्लॉक और ब्लॉक से पंचायत तक दवाएं पहुंचाने के लिए दो स्तर की व्यवस्था बनाई गई है. इसका असर यह हुआ है कि दूर-दराज के स्वास्थ्य केंद्रों तक भी समय पर दवा पहुंचाई जा रही है.

डिजिटल सिस्टम, पंचायत स्तर पर इलाज और मजबूत सप्लाई चेन के जरिए बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा देने की कोशिश कर रहा है. अगर यह मॉडल इसी तरह जमीन पर उतरा, तो हाशिये पर खड़े लोगों के लिए इलाज सिर्फ अधिकार नहीं, वास्तविकता बन जाएगा.

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