Bihar News: खुशखबरी! बिहार के इस जिले में लगेगा एशिया का सबसे बड़ा अनाज इथेनॉल प्लांट, 10,000 लोगों को मिलेगी सीधी नौकरी
Bihar News: जिस चकाई को अब तक पलायन के लिए जाना जाता था, वही इलाका अब बिहार के औद्योगिक भविष्य की नई पहचान बनने जा रहा है. चकाई में एशिया का सबसे बड़ा इथेनॉल प्लांट आकार ले चुका है.
Bihar News: बिहार के जमुई जिले के चकाई प्रखंड अंतर्गत उरवा गांव में एशिया का सबसे बड़ा अनाज आधारित इथेनॉल प्लांट अगस्त 2026 से शुरू होने जा रहा है. करीब 4 हजार करोड़ रुपये की लागत से 105 एकड़ में बने इस मेगा प्रोजेक्ट के चालू होने से जिले के 10 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा.
इससे न सिर्फ स्थानीय युवाओं को काम मिलेगा, बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ने और क्षेत्र के औद्योगिक विकास को भी नई गति मिलेगी.
105 एकड़ में फैला मेगा प्रोजेक्ट
उरवा गांव में बन रहा यह इथेनॉल प्लांट 105 एकड़ में फैला हुआ है. यह ग्रीन वेस्ट आधारित अनाज इथेनॉल प्लांट है, जो पर्यावरण के अनुकूल तकनीक पर काम करेगा. प्लांट में 20 मेगावाट का को-जनरेशन पावर प्लांट भी स्थापित किया गया है, जिससे ऊर्जा की जरूरतें काफी हद तक यहीं पूरी होंगी. इसे बिहार के औद्योगिक मानचित्र पर एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
किसानों के अनाज से होगा इथेनॉल उत्पादन
प्लांट प्रबंधन के अनुसार, यहां प्रतिदिन करीब 30 हजार क्विंटल अनाज की खपत होगी, जिससे लगभग 7.5 लाख लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा. सबसे पहले जमुई जिले के किसानों के अनाज को प्राथमिकता दी जाएगी. इससे स्थानीय स्तर पर कृषि उत्पादों की मांग बढ़ेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलने की संभावना मजबूत होगी.
2026 से शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया
प्लांट मैनेजर कमलाकांत दान ने बताया कि मार्च-अप्रैल 2026 से भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. नियुक्तियों में सबसे पहले जमुई और आसपास के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. इसके बाद अन्य जिलों और राज्यों से आने वाले श्रमिकों व तकनीकी कर्मियों की नियुक्ति होगी. फिलहाल प्लांट निर्माण और प्रारंभिक संचालन से जुड़े करीब 300 कर्मचारी कार्यरत हैं.
औद्योगिक हब के रूप में उभरेगा चकाई क्षेत्र
इस इथेनॉल प्लांट के चालू होने से चकाई और आसपास का इलाका एक नए औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरेगा. रोजगार, कृषि, परिवहन और सहायक उद्योगों को इससे बड़ा बढ़ावा मिलेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना बिहार को इथेनॉल उत्पादन के राष्ट्रीय मानचित्र पर मजबूत स्थिति दिलाएगी.
