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बिहार सरकार की योजनाओं से 2024-25 में 1,933 हेक्टेयर चौर भूमि पर मछली पालन शुरू हुआ है. पठारी जिलों में भी तालाब आधारित योजनाएं लागू हैं. मछली उत्पादन तीन गुना बढ़कर 9.59 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया है_
Bihar fish farming : बेकार चौर बना कमाई का जरिया, बिहार में मछली पालन से बदली किसानों की किस्मत
हाइ लाइट्स
बिहार मत्स्य क्रांति : जो जमीन कभी बेकार मानी जाती थी, वही अब किसानों की आय का मजबूत आधार बन रही है. बिहार सरकार की योजनाओं ने चौर भूमि की तस्वीर ही बदल दी है. वर्ष 2024-25 में राज्य की 1,933 हेक्टेयर विकसित चौर भूमि पर मछली पालन शुरू हुआ, जिससे उत्तर बिहार के 22 जिलों में हजारों मछली पालक किसानों की आमदनी तेजी से बढ़ी है.
आजीका का भरोसेमंद साधन
बिहार मछली पालन : डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग की ओर से चलाई जा रही मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना के तहत अनुपयोगी और कम उपजाऊ जमीन को मत्स्य पालन के लिए विकसित किया गया है. इसका नतीजा यह हुआ कि जो भूमि वर्षों से पानी और घास तक सीमित थी, वह अब आजीविका का भरोसेमंद साधन बन चुकी है.
बेकार जमीन से बंपर कमाई
Chaur Vikas Yojana के तहत उत्तर बिहार ही नहीं, दक्षिण बिहार के पठारी जिलों में भी सरकार ने fish farming की ठोस नींव रखी गई है. बांका, औरंगाबाद, गया, कैमूर, नवादा, जमुई, मुंगेर और रोहतास जैसे जिलों में पठारी क्षेत्र तालाब आधारित मत्स्य पालन योजना चलाई जा रही है, जो विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभुकों के लिए है. वर्ष 2024-25 में इन जिलों की 261.42 एकड़ पठारी भूमि पर तालाब निर्माण कर मछली पालन शुरू किया गया है. तालाब निर्माण के साथ-साथ बोरिंग, सोलर पंप, उन्नत इनपुट, शेड और संपूर्ण पैकेज उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे किसानों को तकनीक और संसाधन दोनों मिल रहे हैं.
जलाशयों में भी बढ़ी मछली की पैदावार
बिहार के सभी जिलों में जलाशय मात्स्यिकी विकास योजना के तहत बड़े पैमाने पर काम हुआ है. इस दौरान 1008 केज, 111 पेन का स्टैब्लिशमेंट और 13,326 हेक्टेयर क्षेत्र में मत्स्य अंगुलिका संचयन किया गया. बिहार सरकार का मानना है कि इससे जलाशयों में मछली उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी.
मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बिहार
Bihar fish farming नए कृषि रोड मैप के तहत लागू योजनाओं का असर अब साफ दिखाई दे रहा है. 2005 से पहले बिहार में मछली उत्पादन सिर्फ 2.68 लाख मीट्रिक टन था. जो अब 2024-25 में यह बढ़कर 9.59 लाख मीट्रिक टन हो गया है. करीब दो दशकों में बिहार का मछली उत्पादन तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ चुका है. यही वजह है कि बिहार आज मछली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है. इसने प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ताकत दी है.
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