Bihar Election 2025: मोदी की चुनावी हवा ने बदला नैरेटिव, जिन 111 सीटों पर की रैलियां 81 पर मिली जीत

Bihar Election 2025: प्रधानमंत्री ने सिर्फ भाषण नहीं दिए. जिलों की नब्ज, नारों की टाइमिंग और विपक्ष पर आक्रामक हमले ने 2025 की सबसे बड़ी राजनीतिक जीत की बुनियाद रखी.

By Pratyush Prashant | November 15, 2025 12:13 PM

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के पीछे कई स्तरों पर कारक काम कर रहे थे. लेकिन इन सबके केंद्र में थे—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री ने 14 जिलों में जनसभाएं और एक बड़ा रोड शो किया. उन्होंने कुल 111 उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया, जिनमें से 81 उम्मीदवार विजेता बने. यह आंकड़ा इस बात का सबूत है कि मोदी की उपस्थिति मात्र ने चुनावी हवा का रुख बदल दिया.

दूसरी ओर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 30 रैलियां कीं और जिन उम्मीदवारों का उन्होंने समर्थन किया, उनमें से सिर्फ तीन हारे. 2025 का चुनाव दिखाता है कि शीर्ष नेतृत्व की चुनावी साख बिहार के मैदान में कितनी निर्णायक हो चुकी है.

कर्पूरी ठाकुर की धरती से अभियान की शुरुआत

24 अक्टूबर को मोदी ने राजग के चुनाव अभियान की शुरुआत कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देकर की. यह प्रतीकात्मक शुरुआत सिर्फ सम्मान भर नहीं थी, बल्कि उस बड़े संदेश का हिस्सा थी जिसे भाजपा अपने सामाजिक गठबंधन को मजबूत करने के लिए उभार रही थी. इसी दिन समस्तीपुर और बेगूसराय में जनसभाएं हुईं, दोनों जिलों में एनडीए का प्रदर्शन शानदार रहा. उजियारपुर और साहबपुर कमल जैसी कुछ सीटों पर जरूर हार मिली, लेकिन बहुमत का स्वर साफ था.

Pm modi

नवादा, आरा और पटना—जहां भी रैली हुई, लहर दिखाई दी

2 नवंबर को प्रधानमंत्री नवादा और भोजपुर के आरा पहुंचे, दोनों जिलों की लगभग सभी सीटों पर एनडीए लगातार बढ़त बनाता रहा. इसी शाम पटना का रोड शो चुनावी माहौल की दिशा तय करने वाला क्षण था. राजधानी की ज्यादातर सीटों पर अंततः एनडीए की जीत ने इस रोड शो की प्रभावशीलता को साबित कर दिया.

कटिहार और सहरसा—सीमांचल में भी लहर की दस्तक

3 नवंबर को प्रधानमंत्री ने कटिहार और सहरसा में जनसभाएं कीं. ये वे इलाके हैं जहां महागठबंधन का परंपरागत आधार मजबूत माना जाता था. यहां भी एनडीए ने सिर्फ एक-एक सीट गंवाई, जबकि बाकी सीटों ने प्रधानमंत्री के संदेश को हवा दी.

भागलपुर से अररिया तक—दूसरे चरण के मुद्दे केंद्र में आए

पहले चरण के मतदान (6 नवंबर) के दिन ही मोदी ने दूसरे चरण के लिए भागलपुर और अररिया का रुख किया. भागलपुर में तो एनडीए ने सभी सीटें जीत लीं, जबकि अररिया में जरूर दो सीटों पर हार मिली. इन रैलियों में मोदी ने आर्थिक पैकेज, महिलाओं की योजनाओं और केंद्र–राज्य के संयुक्त विकास मॉडल को बार-बार सामने रखा. उनके भाषणों में महागठबंधन पर हमला लगातार तीखा होता गया, यही वह समय था जब चुनाव का नैरेटिव पूरी तरह बदल गया.

कैमूर और औरंगाबाद—पुराने किलों में भी सेंध

7 नवंबर को प्रधानमंत्री भभुआ (कैमूर) और औरंगाबाद पहुंचे. ये दोनों जिले पिछले चुनावों में एनडीए के लिए चुनौतीभरे रहे थे, लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई थी. प्रधानमंत्री की रैलियों के बाद यहाँ भी अधिकांश सीटें एनडीए के खाते में गईं.

बेतिया और सीतामढ़ी—सीमा क्षेत्र से संदेश, जीत का सिलसिला जारी

8 नवंबर की बेतिया और सीतामढ़ी की जनसभाओं ने पश्चिमी और उत्तरी बिहार में गति पकड़ी चुनावी हवा को और तेज कर दिया. दोनों जिलों की प्रमुख सीटों पर राजग उम्मीदवारों ने शानदार सफलता हासिल की.

मुजफ्फरपुर और छपरा—उच्च मतदान और आक्रामक भाषणों का असर

30 अक्टूबर की मुजफ्फरपुर और छपरा की सभाओं में मोदी का स्वर पहले से कहीं अधिक आक्रामक था. छठ पूजा, राम मंदिर, घुसपैठ और तुष्टिकरण जैसे मुद्दों को जिस तरह उन्होंने उठाया, उसने एनडीए के लिए चुनावी वातावरण पूरी तरह अनुकूल कर दिया.
मुजफ्फरपुर में 71.81% और छपरा में 63.86% मतदान दर्ज हुआ, दोनों जगह वोटिंग में मोदी फैक्टर साफ देखा गया. यहां पारू, कांटी और गरखा जैसे कुछ अपवाद जरूर रहे, लेकिन व्यापक जनाधार एनडीए के पक्ष में झुका रहा.

Pm modi

विपक्ष पर तीखे हमले- मुद्दे से ज्यादा भावनाएं हावी रहीं

प्रधानमंत्री के भाषणों का सबसे असरदार हिस्सा था, विपक्ष पर सीधा हमला. कांग्रेस–राजद गठबंधन पर उन्होंने छठी मैया का अपमान, अयोध्या में राम मंदिर की आलोचना और घुसपैठियों को संरक्षण देने के आरोप लगातार दोहराए. यह वही नैरेटिव था, जिसने जमीन पर भाजपा को गहरे भावनात्मक समर्थन दिलाया.

81 सीटों पर जीत और 2025 की सबसे बड़ी चुनावी सफलता

मोदी ने जिन 111 उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया, उनमें से 81 उम्मीदवारों की जीत इस बात का प्रमाण है कि उनकी चुनावी लोकप्रियता और भाषणों का प्रभाव अभी भी सीधे वोटों में बदलता है. यही वजह है कि बिहार का चुनाव 2025 अब मोदी फैक्टर के सबसे मजबूत उदाहरणों में गिना जा रहा है.

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