Bihar Driving License: बिहार में महिलाएं खूब चला रही गाड़ियां, मुजफ्फरपुर में 39 के पास कॉमर्शियल तो 12 के पास इंटरनेशनल परमिट

Bihar Driving License: पहले की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ी है. यहां टेस्टिंग के दौरान कतार में अधिक देर ना खड़ा रहना पड़े, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है. कंप्यूटर पर बैठकर पूरे आत्मविश्वास के साथ टेस्ट भी देती हैं.

By Ashish Jha | December 25, 2025 9:07 AM

Bihar Driving License: मुजफ्फरपुर. कुमार गौरव. बड़े शहरों की तरह मुजफ्फरपुर जैसे छोटे शहरों में भी महिलाएं अब सड़कों पर दो पहिया, चारपहिया व तीन पहिया वाहनों पर फर्राटा भर रही हैं. जिले में बीते आठ साल के आंकड़े पर गौर करें तो महिलाओं की ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की संख्या में काफी तेजी आयी है. 2019 में रफ्तार धीमी रही, लेकिन 2021 के बाद इसमें अधिक तेजी देखने को मिली. जिले में औसतन हर साल तीन हजार से अधिक महिलाएं डीएल बनवा रही हैं.

कुल डीएल की संख्या 5.06 लाख

परिवहन विभाग के रिकॉर्ड की मानें तो जिले में कुल डीएल की संख्या 5.06 लाख है. इनमें 4,83,562 पुरुष और 23174 हजार महिलाओं के पास डीएल है. इसके अलावा 60 से अधिक ट्रांसजेंडर (थर्ड जेंडर) के पास भी अपना ड्राइविंग लाइसेंस है. 39 महिलाएं ऐसी भी हैं जिनके पास कॉमर्शियल लाइसेंस भी है. वहीं विदेश में गाड़ी चलाने के लिए 75 लोगों ने इंटरनेशनल डीएल का परमिट लिया है, इनमें भी 12 महिलाएं हैं.

आंकड़ों की नजर में

  • 3000 महिलाएं ले रही हैं ड्राइविंग का लाइसेंस
  • 2018 में सिर्फ 489 महिलाएं ले रही थी लाइसेंस
  • 2025 में 23174 महिलाओं ने बनवाया ड्राइविंग लाइसेंस
  • बीते आठ साल में करीब 18 हजार से अधिक बनवाए लाइसेंस
  • 39 महिलाओं के पास कॉमर्शियल तो 12 ने लिए इंटरनेशनल लाइसेंस का परमिट
  • 60 से अधिक ट्रांसजेंडर के पास भी अपना ड्राइविंग लाइसेंस
  • 16 हजार इलेक्ट्रिक वाहनों में से 60% पर महिलाओं का कब्जा

आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

डीएल की लगातार बढ़ रही संख्या इस बात की तरफ इशारा करती है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. वह खुद गाड़ी चलाकर ऑफिस जाती हैं, यहां तक की अपने बच्चों को स्कूल पहुंचाने से लेकर घर के बुजुर्ग को लेकर भी खुद निकलती हैं. डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि पहले की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ी है. यहां टेस्टिंग के दौरान कतार में अधिक देर ना खड़ा रहना पड़े, इसका विशेष ध्यान रखा जाता है. कंप्यूटर पर बैठकर पूरे आत्मविश्वास के साथ टेस्ट भी देती हैं.

आठ वर्षों में इस तरह बढ़ा डीएल में रुझान

  • 2025 (जनवरी से दिसंबर) : 2931़
  • 2024 (जनवरी से दिसंबर) : 3158
  • 2023 (जनवरी से दिसंबर) : 3932
  • 2022 (जनवरी से दिसंबर) : 3752
  • 2021 (जनवरी से दिसंबर) : 2066
  • 2020 (जनवरी से दिसंबर) : 1562
  • 2019 (जनवरी से दिसंबर) : 1252
  • 2018 (जनवरी से दिसंबर) : 489

महिलाएं ड्राइविंग स्कूलों में कार सीखने में आगे

महिलाएं केवल दो पहिया वाहन ही नहीं बल्कि कार चलाने में भी आगे निकल रही हैं. पहले जहां मोटर ड्राइविंग स्कूल में एक महीने में दो से चार महिलाएं आती थीं. वहां अब अलग से एक से दो बैच चलाये जा रहे हैं. मोटर ड्राइविंग स्कूल के संचालन मनीष कुमार ने बताया कि दो-चार सालों में महिलाओं में वाहन चलाने में रुझान बढ़ा है. इनके लिए स्पेशल बैच चलाना पड़ रहा है. एक बैच में तीन से चार महिलाएं रहती हैं. 15 से 25 दिन में यह कार चलाना सीख जाती हैं. इसके अलावा महिलाएं व युवतियां अपने घर के सदस्यों से भी कार चलाना सीखती हैं.

स्कूटी में 60 प्रतिशत सवार महिलाएं

बाजार में स्कूटी के आने के बाद महिलाओं का रुझान इसमें काफी बढ़ा है. 60 प्रतिशत महिलाएं स्कूटी चला रही हैं. कुछ सालों में कामकाजी महिलाओं की संख्या भी बढ़ी है. इसके बाद वह गाड़ी चलाने में आगे आयी हैं. कार्य स्थल में स्कूटी से आने वाली महिलाओं की संख्या अच्छी खासी होती है. जिले में करीब 16 हजार इलेक्ट्रिक वाहनों का निबंधन है, जिनमें 60 प्रतिशत से अधिक दोपहिया वाहन हैं, उसमें भी सबसे अधिक स्कूटी हैं.

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