Bihar Board: खुशखबरी! अब चुटकियों में होगा ऑनलाइन सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन, बिहार बोर्ड के छात्रों की सालों पुरानी परेशानी से राहत
Bihar Board : नौकरी, उच्च शिक्षा और विदेश जाने की प्रक्रिया में सबसे बड़ी अड़चन प्रमाण पत्र सत्यापन. अब बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए आसान होने जा रही है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम यानी डीवीएस सॉफ्टवेयर लॉन्च कर दिया है, जो 1 जनवरी 2026 से पूरी तरह लागू हो जाएगा.
Bihar Board : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने नए साल के आगमन से पहले राज्य के लाखों पूर्व और वर्तमान छात्रों को एक क्रांतिकारी उपहार दिया है. बोर्ड ने अपना नया ‘डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम’ (DVS) ऑनलाइन सॉफ्टवेयर लॉन्च कर दिया है, जो 1 जनवरी 2026 से पूरी तरह प्रभावी हो जाएगा. अब मैट्रिक और इंटर के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना होगा और न ही डाक के जरिए ड्राफ्ट भेजने की जरूरत पड़ेगी.
इस नई डिजिटल प्रणाली से न केवल सत्यापन की प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि सरकारी और निजी नौकरियों में दस्तावेजों की जांच के कारण फंसने वाली नियुक्तियों में भी तेजी आएगी.
1 जनवरी से बदलेगा सिस्टम, ऑनलाइन होगा पूरा सत्यापन
बिहार बोर्ड द्वारा शनिवार को डीवीएस सॉफ्टवेयर का औपचारिक लोकार्पण किया गया. बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि 31 दिसंबर तक सत्यापन की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से जारी रहेगी, लेकिन 1 जनवरी 2026 से सत्यापन पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया जाएगा.
इसके बाद डाक से भेजे गए किसी भी आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाएगा. आवेदन, शुल्क भुगतान, सत्यापन और रिपोर्ट सब कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ही होगा.
1980 तक के सर्टिफिकेट पहले ही ऑनलाइन
बिहार बोर्ड ने 1980 तक के सभी प्रमाण पत्रों को डिजिटल रूप में ऑनलाइन अपलोड कर दिया है. इन दस्तावेजों को अब नए सिस्टम के जरिए तुरंत खोजकर सत्यापित किया जा सकेगा. इससे पहले के वर्षों के प्रमाण पत्रों को भी तेजी से डिजिटल किया जा रहा है और जल्द ही उन्हें भी इसी प्लेटफॉर्म पर शामिल कर लिया जाएगा. इसका सीधा फायदा उन लाखों पूर्व छात्रों को मिलेगा, जिन्हें वर्षों पुराने सर्टिफिकेट के सत्यापन में परेशानी होती थी.
देश-विदेश की संस्थाएं कर सकेंगी ऑनलाइन सत्यापन
नई व्यवस्था के तहत देश और विदेश की सरकारी, गैर-सरकारी, निजी और शैक्षणिक संस्थाएं निर्धारित शुल्क देकर बिहार बोर्ड से मैट्रिक और इंटर के प्रमाण पत्रों का सत्यापन करा सकेंगी. इसके लिए संस्थानों को एक बार ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके बाद बार-बार रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. सत्यापन का अनुरोध सीधे पोर्टल पर दर्ज होगा और तय समयसीमा के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध करा दी जाएगी.
AI की मदद से तेज होगा सत्यापन
बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर के अनुसार, डीवीएस सॉफ्टवेयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है, जिससे सत्यापन प्रक्रिया और तेज तथा सटीक होगी. शुल्क का निर्धारण भी संस्थान की श्रेणी और पते के आधार पर सिस्टम खुद करेगा. इससे मैनुअल गलती की संभावना खत्म होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी.
लंबित मामलों में आएगी भारी कमी
बिहार बोर्ड में सत्यापन से जुड़े लंबित मामलों की संख्या सबसे अधिक रही है. राज्य के सभी बोर्ड और विश्वविद्यालयों में कुल 72,287 सत्यापन मामले लंबित हैं, जिनमें से 46,681 मामले अकेले बिहार बोर्ड के हैं. बिहार मदरसा बोर्ड, मगध विश्वविद्यालय और पटना विश्वविद्यालय में भी हजारों मामले लंबित हैं. सत्यापन में देरी के कारण छात्रों को नौकरी, एडमिशन और अन्य प्रक्रियाओं में गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नई ऑनलाइन व्यवस्था से इन पेंडिंग मामलों में बड़ी कमी आने की उम्मीद है.
हर साल 30 लाख छात्रों को होगा सीधा फायदा
बिहार बोर्ड से हर साल करीब 28 से 30 लाख विद्यार्थी मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास करते हैं. इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के कारण सत्यापन के आवेदन भी बहुत अधिक आते हैं. डीवीएस सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद नियोक्ता और शैक्षणिक संस्थान सीधे पोर्टल के माध्यम से सत्यापन का अनुरोध कर सकेंगे. इससे बोर्ड कार्यालयों पर दबाव कम होगा और छात्रों को समय पर सत्यापन रिपोर्ट मिल सकेगी.
डाक और ड्राफ्ट की झंझट खत्म
अब तक सत्यापन के लिए संस्थानों को डाक के जरिए पत्र और ड्राफ्ट भेजना पड़ता था, जिससे समय और पैसा दोनों खर्च होते थे. नई व्यवस्था के लागू होने के बाद यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी. आवेदन और शुल्क भुगतान वेबसाइट के माध्यम से किया जाएगा, जिससे सत्यापन में होने वाली देरी लगभग खत्म हो जाएगी.
डिजिटल बिहार बोर्ड की दिशा में बड़ा कदम
डीवीएस सॉफ्टवेयर को बिहार बोर्ड के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. इससे न केवल छात्रों और संस्थानों को राहत मिलेगी, बल्कि बोर्ड की कार्यप्रणाली भी ज्यादा पारदर्शी और आधुनिक होगी. लंबे समय से चली आ रही सत्यापन की समस्या का स्थायी समाधान इस नई प्रणाली से संभव माना जा रहा है.
