आज का दौर न्याय के संहार का : दीपंकर
आरा. बाथे, बथानी, मियापुर नहीं चलेगा, यह दस्तूर को नये संदर्भ में समझने की जरूरत है. पिछला दौर जनसंहारों का दौर था, आज का दौर न्याय के जनसंहार का है. उक्त बातें भाकपा (माले) द्वारा नागरी प्रचारिणी सभागार में न्याय सम्मेलन को संबोधित करते हुए महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहीं.उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटनाओं […]
आरा. बाथे, बथानी, मियापुर नहीं चलेगा, यह दस्तूर को नये संदर्भ में समझने की जरूरत है. पिछला दौर जनसंहारों का दौर था, आज का दौर न्याय के जनसंहार का है. उक्त बातें भाकपा (माले) द्वारा नागरी प्रचारिणी सभागार में न्याय सम्मेलन को संबोधित करते हुए महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहीं.उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया था. इन घटनाओं के आरोपितों को बरी किया गया,जो लोकतंत्र एवं न्याय की हत्या है. बाथे, बथानी का हस्ताक्षर अभियान न्याय का कारवां है, जो अन्याय व तानाशाही के खिलाफ है. हस्ताक्षर अभियान में 50 लाख लोगों का हस्ताक्षर कराया जायेगा. भाकपा (माले) राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि जनसंहारों के आरोपितों को थोक भाव से बरी किया गया है. गरीबों के खिलाफ लड़ाई में शासक वर्गो ने मोरचा बंदी की है. नीतीश कुमार ने अमीर दास आयोग को भंग कर अपना चेहरा बेनकाब किया. मंच संचालन राजू यादव ने किया. सम्मेलन को सुदामा प्रसाद, राम निहाल गुंजन, जितेंद्र, प्रो तुंग नाथ चौधरी, रवींद्र नाथ राय, नइमुद्दीन, कामेश्वर यादव, सुरेंद्र भट, शिवजी सिंह, प्रो लाल बाबू, कौशलेंद्र यादव आदि ने संबोधित किया. सम्मेलन में पांच राजनीतिक प्रस्ताव लाये गये.
