Bhagalpur News. वर्ल्ड स्पाइन डे आज. फास्ट-फूड से बचें, तभी रहेगी हड्डी सही

वर्ल्ड स्पाइन डे पर विशेष.

By KALI KINKER MISHRA | October 15, 2025 10:15 PM

आज के भागदौड़ भरे जीवन और सही से खानपान नहीं होने के कारण शरीर की हड्डियों पर खासा असर हो रहा है. कैल्शियम व हरी साग-सब्जी के नहीं खाने से हमारी हड्डी कमजोर हो रही है. गुरुवार को वर्ल्ड स्पाइन डे मनाया जा रहा है. यह डे हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह दिन रीढ़ की हड्डी व उससे जुड़ी समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाने को समर्पित है. रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो संतुलन, मुद्रा और गतिशीलता के लिए आवश्यक है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को रीढ़ की हड्डी की सुरक्षा, सही मुद्रा और जीवनशैली सुधार के महत्व के प्रति जागरूक करना है. इसको लेकर शहर के हड्डी रोग विशेषज्ञ व फिजियोथेरेपिस्ट से बातचीत की गयी, इसके मुख्य अंश :- मौजूदा समय में लोग सही तरीके से नहीं बैठते हैं. लोगों को अपने बैठने के तरीके में बदलाव करना चाहिए. सही से नहीं बैठने का असर हड्डी पर होता है. हड्डी के रोग से बचने के लिए सबसे आसान तरीका एक्सरसाइज है. जिनकी उम्र तीस से अधिक हो गयी है, वो सुबह को टहलें जरूर. खान-पान पर भी ध्यान दें, बच्चों को फास्ट-फूड से दूर रखें.

डॉ संजय कुमार निराला, हड्डी रोग विशेषज्ञ.

– लोगों का दिनचर्या सही नहीं है. न सोने का समय, न अपने शरीर पर ध्यान देने का समय. खानपान पर भी बड़े से लेकर बच्चे तक ध्यान नहीं देते हैं. जिसके कारण लोगों को हड्डी रोग की समस्या आने लगती है. इस रोग से बचने के लिए खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए. हरी-सब्जी, फल, दाल आदि का सेवन करना चाहिए. हड्डी रोग से बचने के लिए शरीर में पर्याप्त कैल्शियम का होना बहुत ही जरूरी है.

डॉ अमर कुमार, हड्डी रोग विशेषज्ञ.

– लोगों की अनियमित दिनचर्या व खानपान से हड्डी रोग के पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है. जोड़ों में दर्द, कमर में दर्द, हाथ में दर्द होने लगा है. यह सब बीमारी लोगों समय पर भोजन नहीं लेने, शरीर में घट रहे कैल्शियम के कारण हो रही है. हरी सब्जी के जगह लोग तला हुआ भोजन ले रहे हैं. दाल का सेवन भी कम कर रहे हैं. फास्ट फूड अधिक ले रहे हैं. खानपान व दिनचर्या को सही करने से हड्डी रोग को नियंत्रित किया जा सकता है.

डॉ सोमेन चटर्जी, हड्डी रोग विशेषज्ञ.

– विश्व में वर्ष 2020 में लगभग 619 मिलियन लोग हड्डी रोग से प्रभावित थे. अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या बढ़कर 843 मिलियन हो जायेगी. यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, 50 से 55 वर्ष की आयु में इसका जोखिम अधिक होता है. फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में आज जबरदस्त तकनीकी प्रगति हुई है, जिससे रीढ़ की हड्डी की बीमारियों का बिना सर्जरी इलाज अब संभव हो गया है.ह्लनॉन-इनवेसिव रोबोटिक स्पाइनल डी-कंप्रेशन थेरेपी, शॉक वेव थेरेपी, लेजर थेरेपी और कॉम्बिनेशन थेरेपी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों ने स्पाइनल रिहैबिलिटेशन में क्रांति ला दी है. इन आधुनिक तकनीकों के साथ अब फिजियोथेरेपी सर्जरी और गैर-सर्जिकल उपचार के बीच की खाई को प्रभावी रूप से पाट रही है.

डॉ. प्रणव कुमार, फिजियोथेरेपस्टि एवं स्पाइन विशेषज्ञ.

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