Bhagalpur News. सफाई एजेंसी को हटाने के लिए तीन बार प्रस्ताव पारित, दर्जनों शिकायतें… सब फाइलों में दफन
भागलपुर शहर को नहीं मिली गंदगी से निजात.
-35 करोड़ खर्च, 26 महीने बीते… फिर भी गंदगी से शहर को निजात नहींशहर की सफाई व्यवस्था में सुधार की बातें कागजों तक ही सीमित है. पहले जैसी स्थिति थी, वही अब भी है. नगर सरकार ने सफाई एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कई बार हटाने का उपक्रम किया, लेकिन एजेंसियां बरकरार है. अब तो एजेंसियों को हटाने का मुद्दा पूरी तरह ठंडे बस्ते में चला गया है.
पहले निगम प्रशासन सफाई एजेंसियों को हटाने के पक्ष में नहीं था लेकिन, जब नगर सरकार ने उनके खिलाफ सख्ती दिखायी तो मामला उलझ गया. यही नगर सरकार थी, जिसके विरोध के कारण तत्कालीन नगर आयुक्त डॉ योगेश सागर और नितिन कुमार का तबादला कर दिया गया. डॉ. प्रीति ने सफाई एजेंसियों को हटाने और ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश फाइल में दर्ज कर दी थी. इसके बाद एजेंसियों ने खुद को हटाये जाने की आशंका से काम भी बंद कर दिया था. यह घटना नगर आयुक्त शुभम कुमार के कार्यभार संभालने से कुछ दिन पहले की है. सफाई व्यवस्था ऐसा कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, जिससे की चुप्पी साधी जा सके. लेकिन, सदन में तीन-तीन बार पारित प्रस्ताव, लंबे समय तक चलने वाले पार्षदों का संघर्ष और निर्णय भी दबकर रह गया है. सड़कों पर कचरा जमा है और वार्डों में नियमित सफाई नहीं हो रही है. बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब निर्णय पहले ही हो चुका था, तो कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. दरअसल, सफाई की ठेका प्रेम की वजह से एजेंसियों को हटाना मुमकिन नहीं हुआ है.
गंदगी के बीच बीता दुर्गापूजा, दिवाली पर भी उम्मीद नहीं
शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है. दुर्गापूजा के दौरान जहां सड़कों पर गंदगी का अंबार लगा रहा, वहीं अब दिवाली में भी हालात बदलने की उम्मीद नहीं है. नगर सरकार और निगम प्रशासन दोनों ही अपनी जिम्मेदारी से बेपरवाह नजर आ रहे हैं. दिवाली रोशनी और स्वच्छता का त्योहार माना जाता है, लेकिन शहर की सूरत अब भी बदरंग बनी हुई है. लोगों को उम्मीद है कि आखिरी समय में सफाई अभियान चलाकर कुछ सुधार किया जायेगा.26 महीने में 35 करोड़ आवंटित, नहीं सुधरी व्यवस्था, रोजाना 40 फीसदी पड़ा रह जाता कचरा
शहर की सफाई व्यवस्था पर 35 करोड़ से अधिक राशि खर्च होने के बावजूद हालात जस के तस हैं. वार्ड संख्या 14 से 51 तक सफाई की जिम्मेदारी दो एजेंसियों साइन इंटरप्राइजेज और सीडीएस फैसिलिटी को सौंपी गयी है. दोनों एजेंसियां अगस्त 2023 से काम कर रही है और अब तक उन्हें करीब 35 करोड़ रुपये भुगतान किया जा चुका है. इसके बावजूद प्रतिदिन केवल 60 फीसदी कचरा ही उठाया जा रहा है. बाकी 40 फीसदी कचरा सड़कों और मोहल्लों में जमा रह जाता है, जिससे शहर में गंदगी और दुर्गंध बढ़ती जा रही है. इतना कचरा जमा रहना स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है और इससे संक्रमण फैलने की आशंका भी बढ़ जाती है. हर दिन 260 मीट्रिक टन कूड़ा जमा हो रहा है.महत्वपूर्ण बातें
राेजाना जमा हो रहा कूड़ा : 260 मीट्रिक टनरोजाना होता उठाव : 60%लोगों को बीमार करने के लिए पर्याप्त कूड़ा : 40%
दोनों एजेंसी को हर महीने पास होता बिल : 01 करोड़ 34 लाख 98 हजार रुपयेदोनों एजेंसियों का कार्यकाल : 02 साल 02 महीनेअबतक एजेंसियों को बिल भुगतान : 35 करोड़ 09 लाख 48 हजार रुपयेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
