Bhagalpur News. भारतीय संस्कृति मोटिवेशन पर नहीं, अनुशासन पर करती है विश्वास : स्वामी निरंजनानंद

स्वामी निरंजनानंदजी का प्रवचन.

By KALI KINKER MISHRA | September 21, 2025 1:37 AM

-इस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से भारत योग यात्रा के दूसरे दिन पद्मभूषण परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने विद्यार्थियों व आमलोगों का किया मार्गदर्शनभारतीय संस्कृति मोटिवेशन पर नहीं, बल्कि अनुशासन पर विश्वास करती है. विद्यार्थियों के लिए भी अनुशासन जरूरी है. विद्यार्थी को सरल तरीके से जीवन बिताना चाहिए. उक्त बातें बिहार बिहार स्कूल ऑफ योग, मुंगेर के परमाचार्य स्वामी सत्यानंद सरस्वती के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी पद्मभूषण परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कही. मौका था शनिवार को इस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से द्वारिकापुरी कॉलोनी स्थित मंगल उत्सव परिसर में भारत योग यात्रा के दूसरे दिन विद्यार्थियों के बीच विशेष मार्गदर्शन सत्र का.उन्होंने कहा कि मोटिवेशनल स्पीच से कुछ नहीं होता, मोटिवेशनल स्पीच एक दिन और दो दिन याद रहता है, अधिक दिनों के लिए अनुशासन को आत्मसात करना होगा. फिर उन्होंने गुरु द्रोणाचार्य के धनुर्विद्या वाले प्रसंग से अवगत कराया कि उन्होंने सभी को शिक्षा दी, लेकिन एक ही शिष्य अर्जुन मछली की आंख को भेदने का गुर समझा पाया. इसमें अर्जुन का अनुशासन व एकाग्रचित्तता काम आया.

विद्यार्थियों को भ्रामरी क्रिया व एक पाद नमस्कार आसन का कराया अभ्यास

उन्होंने मस्तिष्क और मन के स्वास्थ्य के बीच घनिष्ठ संबंध पर भी प्रकाश डाला और बताया कि सांस की साधना से इन दोनों को साधा जा सकता है. विद्यार्थियों को भ्रामरी क्रिया और एक पाद नमस्कार आसन का अभ्यास करवाया. स्वामी निरंजनानंद ने विद्यार्थियों को बिहार योग विद्यालय के उद्देश्य और उसके दर्शन से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि सकारात्मक परिवर्तन और रचनात्मकता का एक साधन है. उन्होंने 1980 के दशक में फ्रांस सरकार और सन् 2000 में यूनेस्को द्वारा बिहार योग को दी गयी मान्यता का उल्लेख किया.कार्यक्रम में डीएवी पब्लिक स्कूल, सत्यम वेब स्कूल, आशीर्वाद इंस्टीट्यूट, क्रिएशन ट्रेनिंग सेंटर, जेएस. एजुकेशन, बाल भारती विद्यालय, माउंट जी लिट्रा स्कूल, आनंद राम ढ़ानढ़निया सरस्वती विद्या मंदिर और गणपत राय सालारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर सहित भागलपुर के कई स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया. लगभग 1000 विद्यार्थी शामिल हुए. मंच संचालन तथा विषय प्रवेश शिक्षाविद् राजीवकांत मिश्रा ने किया. इस मौके पर चेंबर अध्यक्ष शरद सालारपुरिया, महामंत्री सीए पुनीत चौधरी, उपाध्यक्ष अजीत जैन, रामाधार सिंह, अनिल खेतान, पीआरओ उज्जैन जैन मालू, पवन भालोठिया, सुनील बुधिया, मनीष बुचासिया, पंकज जालान, ओमप्रकाश कानोडिया, राहुल झुनझुनवाला आदि उपस्थित थे.

योगाभ्यास में 550 लोगों ने लिया हिस्सा

सुबह 550 लोगों ने योगाभ्यास में हिस्सा लिया. शहरवासियों ने योग और अनुशासन के महत्व को समझा. इस सत्र का मार्गदर्शन स्वामी शिव ध्यानम ने किया. अतिथियों ने कहा कि इस कार्यक्रम ने साबित किया कि योग और अनुशासन का मेल एक स्वस्थ और सकारात्मक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

सत्संग में परिवार में सामंजस्य और संतुलन के महत्व पर डाला प्रकाश

सत्संग सत्र में स्वामी निरंजनानंद ने परिवार में सामंजस्य और संतुलन के महत्व पर विशेष बल दिया. उन्होंने परिवार को एक संगीतमय यंत्र की तरह बताया. इसमें विभिन्न स्वरों के बावजूद सामंजस्य बरकरार रहता है. उन्होंने कहा, “परिवार में सामंजस्य बनाए रखने के लिए हमें एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाना सीखना होगा. सूफी बैंड की ओर से अरूण घोष एवं गजेंद्र मिश्रा ने गायन से माहौल को भक्तिमय किया.

आज होगा चिकित्सक, शिक्षाविद् व प्रशासनिक पदाधिकारी के बीच होगा सत्संग

रविवार को दोपहर 2:30 से 3:30 तक स्वामी निरंजनानंद जी शहर के प्रमुख चिकित्सकों शिक्षाविदों,प्रशासनिक अधिकारियों के बीच संदेश देंगे. शाम में सत्संग का कार्यक्रम होगा, जो कि पूरी तरह नि:शुल्क है. इसमें किसी तरह के पास की कोई आवश्यकता नहीं है.

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