नक्सली मनश्याम पर राजद्रोह का केस

भागलपुर : पुलिस ने नक्सली मनश्याम के खिलाफ सोमवार को राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया. इसके साथ ही टीएमबीयू के प्रॉक्टर प्रोफेसर विलक्षण रविदास व कपिलदेव मंडल को पुलिस ने जांच के दायरे में रखा है. पुलिस इन दोनों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने में लगी है. मनश्याम पर यूएपीए (अनलाॅफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट, 1967) […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 9, 2016 6:58 AM

भागलपुर : पुलिस ने नक्सली मनश्याम के खिलाफ सोमवार को राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया. इसके साथ ही टीएमबीयू के प्रॉक्टर प्रोफेसर विलक्षण रविदास व कपिलदेव मंडल को पुलिस ने जांच के दायरे में रखा है.

पुलिस इन दोनों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने में लगी है. मनश्याम पर यूएपीए (अनलाॅफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट, 1967) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. यह मामला तातारपुर इंसपेक्टर अजय कुमार के बयान पर तातारपुर थाना में दर्ज किया गया है. सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर मामले के अनुसंधानकर्ता बनाये गये हैं. पुलिस ने प्रोफेसर रविदास और अतिथि व्याख्याता कपिलदेव मंडल को पीआर बांड पर राहत दी है. पुलिस के उच्चस्थ पदाधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर
नक्सली पर राजद्रोह…
बताया कि साक्ष्य मिलने पर पुलिस कभी भी इन दोनों को भी गिरफ्तार कर सकती है.
आठ नामजद व 60 अज्ञात पर प्राथमिकी
रविवार को पुलिस ने गिरफ्तार नक्सली मनश्याम की निशानदेही पर टीएमबीयू के प्रोफेसर विलक्षण रविदास और अतिथि व्याख्याता कपिलदेव मंडल को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. पुलिस ने श्री रविदास के रेकाबगंज स्थित निजी आवास और कल्याण छात्रावास संख्या दो में स्थित आवास में छापेमारी की थी.
दोनों को हिरासत में लिये जाने के विरोध में छात्र संगठनों ने हंगामा किया था. इस मामले में पुलिस ने आठ छात्रों पर नामजद व 50-60 अज्ञात के खिलाफ सोमवार को विश्वविद्यालय थाना में प्राथमिकी दर्ज की है. नामजद छात्रों में अमित दास, सोनू, अजय राम, रूपेश यादव, रिंकी, अंशदेव निराला और दलित विकास समिति के अध्यक्ष भी शामिल हैं.
साजिश के तहत फंसाया जा रहा : प्रॉक्टर
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ विलक्षण रविदास ने सोमवार को कहा कि एक साजिश के तहत उन्हें फंसाया जा रहा है. जो आरोप उन पर पुलिस ने लगाया है, वह गलत और बेबुनियाद है. उनके घर व छात्रावास से पुलिस को कोई सबूत नहीं मिले हैं. वे छात्रावास में पिछले एक सप्ताह से नहीं गये हैं. छात्रावास जाते हैं, तो दिन में ही जाते हैं. सारे छात्र उनको पहचानते हैं. वे छात्रावास दो और तीन के अधीक्षक हैं. छात्रावास में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है.
छात्रावास में कौन आ रहा है और जा रहा है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं होती है. मनश्याम दास का बड़ा भाई घनश्याम दास है. घनश्याम ने कुछ वर्ष पहले यहां के छात्रावास में रह कर पढ़ाई की थी. उसके साथ में मनश्याम दास आया करता था. उन्होंने बताया कि पुलिस ने घर में छापेमारी कर बैंक एकाउंट नंबर व खराब पड़ा सीपीयू अपने साथ ले गयी है. पुलिस ने स्टेशन चौक से मनश्याम को गिरफ्तार किया और उसका मोबाइल मुझसे मांग रही थी. परदे के पीछे से बदनाम करने की साजिश रची जा रही है.
उनके ऊपर मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है, तो वे इससे भयभीत नहीं है. पुलिस को हमेशा उनका सहयोग रहेगा. उनके चलते विवि बदनाम नहीं हो, इससे पहले वे उचित कदम उठा सकते हैं. पूरे प्रकरण में कुलपति के आने पर बात करेंगे. उन्होंने बताया कि नक्सली के नाम पर पकड़ाया व्यक्ति किसी के कहने पर यह सब कर रहा है.
पुलिस को अपनी बातों से उनके प्रति गुमराह कर रहा है. प्रॉक्टर ने इस बात पर दुख व्यक्त किया है कि पुलिस जिस तरह से उनके साथ पेश आ रही थी जैसे नक्सली का राष्ट्रीय नेता पकड़ा गया हो. पुलिस को अगर उनके ऊपर शक था, तो उन्हें पुलिस बुला कर पूछताछ कर सकती थी. थाना में सात घंटा बैठा कर पूछताछ करना और शिक्षकों से मुलाकात नहीं करने देना दुखद है. पुलिस की इस कार्रवाई से विवि की छवि धूमिल हुई है.

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