बिना सतगुरु की सच्ची भक्ति का ज्ञान नहीं मिलता : स्वामी रघुनंदना जी

बिना सतगुरु की सच्ची भक्ति का ज्ञान नहीं मिलता : स्वामी रघुनंदना जी संवाददाता, भाागलपुर आज लोग भक्ति करते हैं, लेकिन उसके जीवन में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है, जबकि प्राचीन काल का इतिहास गवाह है कि मनुष्य ने भक्ति कर अपना जीवन बदल लिया था. इसका कारण था कि उन्हाेंने भक्ति सच्चे गुरु […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2015 9:54 PM

बिना सतगुरु की सच्ची भक्ति का ज्ञान नहीं मिलता : स्वामी रघुनंदना जी संवाददाता, भाागलपुर आज लोग भक्ति करते हैं, लेकिन उसके जीवन में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है, जबकि प्राचीन काल का इतिहास गवाह है कि मनुष्य ने भक्ति कर अपना जीवन बदल लिया था. इसका कारण था कि उन्हाेंने भक्ति सच्चे गुरु के मार्गदर्शन में किया था. यह अमृत वाणि स्वामी रघुनंदना जी ने रन्नूचक वीणा पाणि पुस्तकालय के प्रागंण में आयोजित रामचरितमानस व गीता विवेचना कार्यक्रम के दूसरे दिन अपने प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने प्रवचन में श्रोताओं को वास्तविक भक्ति क्या है उसके रहस्य को विस्तार पूर्वक बताया. उन्होंने कहा कि लोग आज भक्ति कर रहे है, लेकिन उसके जीवन में भक्ति का तनिक भी लक्षण नहीं दिखता है. प्राचीन काल में अंगुलीमाल डाकू ने सच्चे महापुरुष के मार्गदर्शन व भक्ति अपना कर अपना जीवन बदल डाला था. गनिका वेश्या सच्चे गुरु के संपर्क में आकर ईश्वर भक्त बन गयी थी. जिस तरह दवा दुकान में बहुत सारी दवाएं होती है, लेकिन उससे किस रोग का इलाज होगा, यह एक डॉक्टर को पता होता है. इसलिए लाख क्रिया, कर्मकांड, तीर्थ व उपवास कर लो, लेकिन जब तक सच्ची भक्ति नहीं होगी. आपका जीवन नहीं बदल सकता है. उन्होंने इसके लिए कबीर, तुलसीदास आदि महाकवि के श्लोक का उदाहरण देकर श्रोताओं को विस्तार से बताया. प्रवचन सुनने बड़ी संख्या में लोग पंडाल में जुटे थे. यहां देर शाम तक श्राेतोओं ने भक्ति ज्ञान सागर में डुबकी लगा कर अपने ज्ञान का वर्द्धन किया. मौके पर आयोजक मनोज कुमार सिंह, सुनील सिंह, अनिल सिंह, पूनम सिंह सहित बड़ी संख्या में रन्नूचक, मकंदपुर, शाहपुर अादि गांवों के गण्यमान्य लोग उपस्थित थे.