खतरे में अदरी नदी का अस्तित्व

औरंगाबाद : नदियों का अतिक्रमण लगातार जारी है. जीवन सुरक्षित रखने के लिए पानी अत्यंत आवश्यक है और नदियां इसकी प्रमुख स्रोत रही है. शहर से गुजर रही अदरी नदी के संरक्षण के प्रति प्रशासन मौन है. नतीजतन यह नदी लगातार अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ती जा रही है. इस नदी के बड़े भाग पर अवैध […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 24, 2019 8:51 AM

औरंगाबाद : नदियों का अतिक्रमण लगातार जारी है. जीवन सुरक्षित रखने के लिए पानी अत्यंत आवश्यक है और नदियां इसकी प्रमुख स्रोत रही है. शहर से गुजर रही अदरी नदी के संरक्षण के प्रति प्रशासन मौन है. नतीजतन यह नदी लगातार अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ती जा रही है. इस नदी के बड़े भाग पर अवैध कब्जा कर मकान निर्माण व कृषि कार्य किया जा रहा है. प्रतिदिन नदी भर कर उस पर कब्जा जमाया जा रहा है.

यदि यही स्थिति बरकरार रही तो नदी का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा. लोगों की मानें तो कभी यह नदी तकरीबन सौ फुट से अधिक चौड़ी थी. जो आज सिमट कर 40-50 फुट चौड़ी ही रह गयी है. नदी के अतिक्रमण का सीधा प्रभाव जलस्रोत पर पड़ा है. अतिक्रमण के कारण नदी का पाट कम हो जाने से जल स्तर में भारी गिरावट आयी है.
जलस्तर में गिरावट आने से क्षेत्रवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो नदी अपना आस्तित्व खो देगी और सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर हो जायेगी. शहर के लोगों ने अतिक्रमण हटाने के लिए ध्यान आकृष्ट कराया है, लेकिन अब तक इसकी सुध नहीं ली गयी. प्रशासन की उदासीनता के कारण नदी में 50 से ज्यादा मकान बन चुके हैं.
जबकि, दर्जनों मकानों का निर्माण कार्य अब भी जारी है. जानकार बताते हैं कि हाइकोर्ट ने नदी, नाला, आहर, पोखर, तालाब, पइन की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने का आदेश सीओ व डीएम को दिया है. लेकिन प्रशासन के इस विषय पर गंभीर नहीं होने से अतिक्रमणकारियों द्वारा नदी की जमीन पर कृषि कार्य किये जा रहे है.

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