सरकारी तंत्र कर रहा पॉलीथिन कैरी बैग का जमकर उपयोग

अरवल : प्लास्टिक थैलियों का उपयोग करना कानूनन जुर्म है, लेकिन जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को राशन प्लास्टिक की थैलियों अर्थात पॉलीथिन में ही दिया जा रहा है. एक ओर जिला प्रशासन के द्वारा दुकानों पर सब्जीवाले ठेलेवाले को प्लास्टिक की थैली के उपयोग करने से रोकती है उन पर जुर्माना करती है. वहीं दूसरी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 24, 2019 12:18 AM

अरवल : प्लास्टिक थैलियों का उपयोग करना कानूनन जुर्म है, लेकिन जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को राशन प्लास्टिक की थैलियों अर्थात पॉलीथिन में ही दिया जा रहा है. एक ओर जिला प्रशासन के द्वारा दुकानों पर सब्जीवाले ठेलेवाले को प्लास्टिक की थैली के उपयोग करने से रोकती है उन पर जुर्माना करती है.

वहीं दूसरी तरफ जिले में चलनेवाले आंगनबाड़ी केंद्रों पर जो राशन नौनिहालों को बननेवाले पौष्टिक आहार के लिए जो राशन भेजा जा रहा है, वह प्लास्टिक की थैली में भेजा जा रहा. जबकि 25 अक्तूबर, 2018 से बिहार में प्लास्टिक की थैली पूरी तरह बंद है, बावजूद आंगनबाड़ी केंद्र पर जो पोषाहार दिया गया वह पॉलीथिन में दिया गया. जिले में 526 आंगनबाड़ी केंद्र कार्यरत हैं, जिन्हें 22 अगस्त को राशन भेजा गया है वह प्लास्टिक की थैली यानी पॉलीथिन में भेजा गया.
मालूम हो कि लेकिन आइसीडीएस कार्यक्रम अंतर्गत चलनेवाले आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीएचआर के दिन, एक आंगनबाड़ी केंद्र पर लोगों को दिये जानेवाले दाल, चावल और सोयाबीन के लिए लगभग 100 प्लास्टिक की थैलियां बनायी जाती हैं, जो हमें इस तस्वीर से साफ़ प्रतीत हो रहा है.
इस तरह से अगर अरवल जिले में 500 आंगनबाड़ी केंद्र है तो 50 हजार एक महीने में और एक साल में छह लाख पॉलीथिन सीधे लोगों के हाथ में सरकारी तंत्र के जरिये दिये जा रहे हैं. इस संबंध में डीएम रविशंकर चौधरी ने बताया कि इस मामले की जांच करवायी जायेगी. अगर इसमें जो भी दोषी होंगे, उस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

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