सदर अस्पताल में लापरवाही चरम पर, अंधेरे में किया जा रहा इलाज
मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं स्वास्थ्य कर्मी
आरा.
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल में लापरवाही चरम पर है. सदर अस्पताल में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है. चिकित्सक से लेकर स्वास्थ्य कर्मी तक सभी निरंकुश हैं. हालत यह है कि मरीजों को अंधेरे में ही इंजेक्शन दे दिया जाता है. लापरवाही चरम सीमा पर है. मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है. ऐसे में मरीजों के साथ कोई घटना होती है, तो अस्पताल प्रशासन मरीजों एवं उनके परिजनों को ही दोषी ठहराता है. अपने दामन में नहीं झांकता है.सुविधा का पिटा जाता है ढिंढोरा
सरकार एवं अस्पताल प्रबंधन मरीज के लिए प्रतिदिन बढ़ती सुविधाओं का ढिंढोरा पिटता है, पर धरातल पर हालात कुछ और ही हैं. अस्पताल से सुविधा गायब है. यहां तक की कई बार प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं रहती है. जबकि शहर में 20 घंटे से अधिक बिजली उपलब्ध रहती है. इसके अलावा अस्पताल में जनरेटर की भी सुविधा है. फिर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा क्यों अंधेरे में मरीज को इंजेक्शन दिया जा रहा है. इसे अस्पताल प्रबंधन नहीं बता सकता है, पर यह तो तय है कि ऐसे में मरीजों के जान पर खतरा बना रहता है. ऐसी लापरवाही जिले के सबसे बड़े अस्पताल में प्राय: देखने को मिल जाती है.
इमरजेंसी में मरीज को दिया जा रहा इंजेक्शन
सामान्य वार्डों की बात छोड़ दें तो सबसे प्रमुख जगह इमरजेंसी का यह हालात है. इमरजेंसी में सुविधाओं का नितांत अभाव है तो अन्य जगहों की बात समझ में आ सकती है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सदर अस्पताल में प्रकाश की अच्छी व्यवस्था रहती है. यदि अंधेरे में स्वास्थ्य कर्मी द्वारा इंजेक्शन दिया जा रहा है तो इसकी जांच कर इस पर कार्रवाई की जायेगी. यह बहुत ही गंभीर मामला है.
डॉ शिवेंद्र कुमार सिन्हा , सिविल सर्जनडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
