दूषित हो रही है जिले की हवा, 177 पर पहुंचा एक्यूआइ

पीएम 2.5 व पीएम 10 की बढ़ी मात्रा चिंताजनक

By MRIGENDRA MANI SINGH | November 24, 2025 8:32 PM

पीएम 2.5 व पीएम 10 की बढ़ी मात्रा चिंताजनक, बरतें सावधानीअररिया. जिले की हवा इन दिनों लगातार प्रदूषित हो रही है. सोमवार को जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई 177 दर्ज किया गया. जिसे अनहेल्दी हवा की श्रेणी में रखा जाता है. यह स्तर सामान्य लोगों के लिये भीं जोखिमपूर्ण माना जाता है व संवेदनशील लोगों में सांस व हृदय संबंधी समस्या को बढ़ा सकता है. चिंताजनक ये कि जिले की हवा में अत्यंत सुक्ष्म प्रदूषक कणों की मात्रा में लगातार इजाफा हो रहा है. वायु प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 2.5 कण जिनकी मात्रा 93 माइ्रोग्राम प्रति घन मीटर मापी गयी है. जो विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित सीमा से करीब 15 गुणा अधिक है. वहीं पीएम10 का स्तर 135 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मापा गया है. जो हवा में भारी कणों की अधिकता को दर्शाता है.

पीएम 2.5 व पीएम 10 की बढ़ी मात्रा चिंताजनक

हवा में पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 हवा में धूल, धुआं, राख, सहित अन्य प्रदूषक कणों की अधिकता को दर्शाता है. क्योंकि यह इतने सुक्ष्म होते हैं कि सांस के जरिये यह सीधे फेफड़े में पहुंच जाते हैं. इसलिये पीएम2.5 को एक खतरनाक प्रदूषक माना जाता है. इसके अधिक देर तक संपर्क में आने से खांसी, सांस फूलना, गले में जलन, अस्थमा का बढ़ना, फेफड़ों की सेहत को प्रभावित करता है. वाहन का धूंआ, पराली व कचरा जलाना, लकड़ी चूल्हे, निर्माण कार्य व वातावरण में धूल की अधिकता इसके प्रमुख स्त्रोत हैं. इसी तरह पीएम10 भी हवा में तैरते रहते हैं. सांस के जरिये यह नाक, गनले व ऊपरी श्वसन तंत्र में प्रवेश करते हैं. जो सांस संबंधी समस्या, एलर्जी, गले में ख्रराश, आंखों में जलन सहित अन्य तरह की समस्या खड़ी कर सकते हैं. हालांकि जिले की हवा में फिलहाल ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक का स्तर सुरक्षित श्रेणी में है. लेकिन पीएम2.5 व पीएम10 के बढ़े स्तर के कारण हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुका है.

प्रदूषण स्रोतों की कड़ी निगरानी करे प्रशासन

पर्यावरणविद सूदन सहाय ने बताया कि हवा की गति अपेक्षाकृत धीमी होने व तापमान में गिरावट की वजह से प्रदूषक कण वातावरण में ऊपर नहीं उठ रहे हैं. इसलिए एक्यूआइ लगातार खराब हो रहा है. उन्होंने खेतों में पराली जलाने, वाहनों का धुआं, सड़क से उड़ने वाली धूल, सड़क धूल, निर्माण कार्यों से उठती धूल के कारण हवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. प्रदूषण स्रोतों पर सख्त निगरानी की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया. खास कर खेतों में पराली जलाने की गतिविधियों पर प्रशासन द्वारा सख्ती बरतने की बात उन्होंने कही.

बच्चे व बुजुर्गों की सेहत का रखें खास ध्यान

सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सक डॉ राजेंद्र कुमार ने बताया कि हवा की खराब गुणवत्ता बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, दमा व हृदय रोगियों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. प्रदूषण का यह स्तर आंखों में जलन, खांसी, गले में दर्द, सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्या खड़ी कर सकता है. दमा, हृदय रोगी, बुजुर्ग व बच्चों की सेहत को लेकर ऐसे समय सावधान रहने की जरूरत है.बरतें सावधानी

बच्चे व बुजुर्ग अधिक समय घर के अंदर ही रहें

खिड़कियां बंद रखें जरूरत हो तो कमरे में एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें

घर के आस-पास कचरा व खेतों में पराली न जलाएं

दमा के मरीज अपनी दवाइयां व इन्हेलर पास रखें

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