विलुप्त कोबरा विष की बढ़ती मांग ने सीमांचल में पसारा तस्करों का पांव

मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : माना जाता है कि भारत में सांप की 1500 से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं. इन प्रजातियों में से कुछ सांपों के जहर इतने खतरनाक होते हैं जो लोगों को डसने या फूंक देने के बाद भी मौत का मातम मनवा देते हैं. एक बात ओर भी जो दिलचस्प रही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 21, 2020 7:19 AM

मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : माना जाता है कि भारत में सांप की 1500 से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं. इन प्रजातियों में से कुछ सांपों के जहर इतने खतरनाक होते हैं जो लोगों को डसने या फूंक देने के बाद भी मौत का मातम मनवा देते हैं.

एक बात ओर भी जो दिलचस्प रही है कि जो चीज जितनी खतरनाक होती है लोग उसे पाने की लालशा उतनी ज्यादा करते हैं. नतीजा आज सांप का यह जहर काला कारोबार बनता जा रहा है. इस काले कारोबार के डीमांड के कारण अब सीमांचल में भी तस्करी की आहट ने लोगों को भौचक्का कर दिया है. जिसके लिए निर्दोष सांप की बली दी जा रही है.
जानकारों की मानें तो एक सांप के अंदर पांच ग्राम तक विष पाया जाता है. जबकि एक जार में जो कि पूर्णरूप से बुलेट प्रुफ होता है उसमें लगभग 100 ग्रामी तक सांप का जहर भरा होता है. वर्ष 2017 के 24 मई को जब बंगाल में स्नेक वेमन की लगभग 70 करोड़ रुपये की खेप बरामद की गयी तो वह भी अररिया में बरामद हुए दो बुलेट प्रुफ जार के ही समान थे.
यह बरामदगी पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर में सीमा सुरक्षा बल के जवानों के ही द्वारा की गयी थी. हालांकि इससे पहले खुफिया राजस्व निदेशालय डीआरआई की टीम ने पूर्णिया के लाइनबाजार से लगभग 950 ग्राम सांप का जहर बरामद किया था. यह बरादमगी 24 जनवरी 2017 को की गयी थी.
जिसकी कीमत उस वक्त भारतीय बाजार में जहां 04 करोड़ रुपये लगायी गयी थी वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 20 करोड़ रुपये बताय गयी थी. उस समय सीमांचल के इलाकों में सांप के तहर के बरामदगी का यह पहला मामला सामने आया था. इस जहर को बंगाल के रास्ते दिल्ली ले जाने की तैयारी थी.
वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के तहत सांप का जहर बिल्कुल प्रतिबंधित है. क्योंकि भारत में इस जहर के लिए सबसे ज्यादा कोबरा सांप का इस्तेमाल होता है जो कि विलुप्त वन्यजीव में शामिल है. सूत्रों की मानें तो जहर के इस कारोबार का बाजार तो अब लगभग देश बनते जा रहे हैं. लेकिन आज भी इस जहर का सबसे ज्यादा बड़ा बाजार इंडोनेशिया है.
जहां इस जहर का प्रयोग खुल-कर किया जाता है. ऐसे में यह एसएसबी के लिए बड़ी सफलता है लेकिन यह भी सत्य है कि इसके कारोबोरी यहां भी पनपने लगे हैं, जिस पर नजर रखने के लिए आइबी व सीमा सुरक्षा बलों को कड़ी निगेहबानी करनी होगी.
वरना जहर का यह सौदा हमारे देश के मुख्य सांप कोबारा के लिए घातक तो होगा ही वहीं इसका प्रयोग हमारे युवाओं व पीढ़ियों को बर्बाद कर देगा. हालांकि अररिया में हुई बरामदगी में एसएसबी व विशिष्ट खुफिया तंत्र का बहुत बड़ा योगदान है इससे नकारा नहीं जा सकता है.
खुफिया राजस्व निदेशालय डीआरआई की टीम ने पूर्णिया के लाइनबाजार से लगभग 950 ग्राम सांप का जहर बरामद किया था. यह बरादमगी 24 जनवरी 2017 को की गयी थी
जिसकी कीमत उस वक्त भारतीय बाजार में जहां 04 करोड़ रुपये लगायी गयी थी वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 20 करोड़ रुपये बताय गयी थी

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