बिहार में कोहरे के कारण हाइवे पर बढ़े हादसे, नियमों की अनदेखी ले रही जान

15 जनवरी तक घने कोहरे का अलर्ट है. इसके बाद भी जिले के सर्वाधिक हादसों वाले ब्लैक स्पॉट की संख्या को लेकर अभी परिवहन विभाग मंथन कर रहा है. नतीजा है कि हाइवे पर सर्वाधिक हादसे हो रहे. एक साल में अकेले एमएच-27 पर 80 हादसे हुए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 5, 2023 3:51 PM

सत्येंद्र पांडेय, गोपालगंज. चौड़ी सड़कों पर सरपट दौड़तीं गाड़ियों के बीच ही हादसों की संख्या भी बढ़ गयी है. जहां पर रफ्तार जिंदगी पर भारी पड़ रही है. 15 जनवरी तक घने कोहरे का अलर्ट है. इसके बाद भी जिले के सर्वाधिक हादसों वाले ब्लैक स्पॉट की संख्या को लेकर अभी परिवहन विभाग मंथन कर रहा है. नतीजा है कि हाइवे पर सर्वाधिक हादसे हो रहे. एक साल में अकेले एमएच-27 पर 80 हादसे हुए हैं. अभी कोहरा शुरू होने के बाद क्या हालत होगी, इसको लेकर विभाग गंभीर नहीं है. भोरे के कल्याणपुर में हुई बाइक दुर्घटना में दो किशोरों की मौत इसी लापरवाही का कारण है.

औसतन प्रतिवर्ष 265 लोगों की होती है मौत

विभागीय रिपोर्ट पर नजर डालें, तो औसतन प्रतिवर्ष 265 लोगों की मौत होती है. डीटीओ कुमार विवेकानंद की मानें, तो सर्वाधिक हादसे एनएच-27 पर हुए हैं. जिस स्थल पर पांच लोगों की हादसे में मौत हुई है, उस स्थल को ब्लैक स्पॉट घोषित किया जाना है. पहले यह संख्या -10 थी. एनएचएआइ से मांगा गया है कि उनकी रिपोर्ट में कौन-कौन स्थल हैं, जहां सतर्कता बरतने की जरूरत है, वहां जरूरी कदम उठाये जाने हैं.

परिवहन नियमों की अनदेखी ले रही जान

पुलिस ने लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया और इन्हीं जगहों पर सुधार की कोशिश भी की है. कई जगहों पर संकेतक भी लगा दिये गये हैं, लेकिन अब भी लोग उसकी अनदेखी कर रहे हैं और हादसों में जान जा रही है. यह हाल तब है, जब अभी कोहरा भी नहीं है. कोहरा के समय इन अंधे मोड़ और कट के आगे अगर खुद संभल कर नहीं चले, तो जान जोखिम में पड़ सकती है.

शहर में भी हादसे को रोकने की चुनौती

अब जब शहर में निर्माण काम चल रहा है, तो हादसे की आशंका और बढ़ जाती है क्योंकि जितने जगहों पर काम चल रहा है, वहां पर कोई संकेतक भी नहीं लगाये गये हैं. सड़क किनारे ही गड्ढे हैं, जिस पर अगर आप रोज नहीं चलते हैं, तो हादसा होना तय है. हादसे को रोकने की चुनौती है.

Also Read: बिहार पुलिस हुई हाईटेक, अगले माह से बंद होगी थानों में एफआइआर से स्टेशन डायरी तक में मैनुअल इंट्री

पुलिस से चालान बचाने के लिए पहन रहे हेलमेट

जिले में आये दिन सड़क हादसे के मामले सामने आ रहे हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता है, जिस दिन कोई सड़क हादसे में घायल न होता हो या फिर जान न गंवा देता हो. इसे लेकर ट्रैफिक पुलिस ने सख्ती भी की. हेलमेट, सीट बेल्ट पर जोर दिया गया, लेकिन आज भी हादसों में लापरवाही सामने आती है. इसका इस्तेमाल लोग सिर्फ पुलिस से चालान बचाने के लिए करते हैं.

हाइवे पर वाहन चलाने में सतर्कता जरूरी

हाइवे पर दोपहिया से चलते वक्त सिर पर या तो हेलमेट होता नहीं है या फिर घटिया क्वालिटी का होता है, जो टूट जाता है और जान चली जाती है. वहीं, कार के हादसों में सामने आता है कि रफ्तार तेज थी, लेकिन सीट बेल्ट नहीं होने की वजह से एयरबैग नहीं खुल पाता है.

ये हैं हादसों में मौत की प्रमुख वजहें

  • हेलमेट, सीट बेल्ट न होने की वजह से

  • ड्राइवर की लापरवाही से

  • सड़क पर निर्माण कार्य होने की वजह से

  • असावधान मोड़ की वजह से

  • वाहन की खराबी से

  • ब्लाइंड मोड़ की वजह से

  • धूल-कोहरे की वजह से

  • लंबी दूरी व चालक की बेचैनी से

  • अचानक ब्रेक मारने की वजह से

  • अचानक सामने जानवर आने की वजह से

प्रतिदिन औसतन एक लाख का हो रहा जुर्माना

पुलिस कप्तान स्वर्ण प्रभात ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस लोगों को जागरूक कर रही है कि वह नियमों का पालन करें. नियमों की अनदेखी करने वालों का चालान काटा जाता है. रोज बगैर हेलमेट वाले बाइक सवारों से हेलमेट खरीदवाया जा रहा ताकि सुधार हो. इसके बाद भी औसतन एक लाख रुपये का जुर्माना भी हो रहा. जब इसकी अनदेखी की जाती है, तो हादसे होते हैं. लोग नियमों का पालन करें, तो हादसों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है.