नीतीश ने लोहिया, कूर्परी को भारत रत्न दिए जाने की मांग की

पटना : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की.फेसबुक के जरिए नीतीश ने आज कहा कि भारत रत्न सम्मान की गरिमा बढती रहनी चाहिए और यह तभी हो सकता है जब यह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 12, 2014 9:46 PM

पटना : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की.फेसबुक के जरिए नीतीश ने आज कहा कि भारत रत्न सम्मान की गरिमा बढती रहनी चाहिए और यह तभी हो सकता है जब यह सम्मान उन्हें मिले जिन्होंने वाकई इस महान राष्ट्र के लिए अद्भुत कार्य किया हो जिसमें त्याग और साधना निहित हो.

नीतीश ने कहा है कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में राम मनोहर लोहिया जी ने जो किया वो अमूल्य था. उसने हजारों वर्ष के सामाजिक ढांचे को लोकतंत्र की ताकत में बदल दिया और समाज के लोकतांत्रिकरण के द्वारा राजनीति की दिशा को बदल दिया.

उन्होंने कहा है कि जिस वक्त देश लोकतांत्रितक परंपरा के प्रथम पायदान पर था, विपक्ष की भूमिका से अपरिचित था, उस समय लोहिया ने वैचारिक शक्ति से विपक्ष की भूमिका तैयार की. इसका परिणाम यह हुआ कि भारत का एकतरफा सा दिखने वाला लोकतंत्र शैश्वास्था त्यागकर जीवंत और परिपक्व बन गया.

नीतीश ने कहा कि लोहिया ने न केवल संसद में विपक्ष की भूमिका तैयार की बल्कि समाज में समानता के अधिकार के प्रति चेतना जगाकर उससे जनतंत्र की इमारत को भी बुलंद किया.

उन्‍होंने कहा कि अगर लोहिया ने सामाजिक और राजनीतिक बदलाव की चेतना जागृत की तो उसे मूर्त कपरूरी ठाकुर जी ने दिया. देश में पहली बार कर्पूरी जी ने लोहिया जी के आदर्शों पर राजनीतिक गोलबंदी की और उसके आधार पर बिहार में सरकार बनायी.

नीतीश ने कहा कि सरकार ने बिहार में पहली बार पिछडे और हाशिए पर रहने वाले समुदाय को शासन तंत्र में स्थान दिया. सामाजिक कुरीतियों से लडने की राजनीतिक धारा को मजबूत किया और भविष्य के राजनेताओं को प्रेरणा दी कि समाज में बराबरी के लक्ष्य को राजनीति के माध्यम से हासिल किया जा सकता है.

उन्‍होंने कहा कि इसलिए सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में लोहिया और कपरूरी ठाकुर ने जो किया है वह अदभुत है, उसमें त्याग है, साधना है और भारतीय समाज को सदा के लिए जीवंत और जनतांत्रिक बना देने की दृष्टि है.

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