Explainer: फीफा ने AIFF को क्यों किया बैन, जानें निलंबन का भारतीय फुटबॉल पर क्या होगा असर?

उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था और एआईएफएफ के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए आर दवे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) का गठन किया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2022 7:18 AM

भारत को करारा झटका देते हुए विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संचालन संस्था फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को निलंबित कर दिया. फीफा ने तीसरे पक्ष द्वारा गैर जरूरी दखल का हवाला देकर यह कदम उठाया. फीफा के इस फैसले के बाद भारतीय फुटबॉल में भूचाल आ गया.

फीफा ने क्यों भारतीय फुटबॉल को किया बैन

फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को बैन इसलिए किया क्योंकि उसे तीसरे पक्ष द्वारा गैर जरूरी दखल मंजूर नहीं है. दरअसल उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था और एआईएफएफ के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए आर दवे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) का गठन किया था. सीओए के अन्य सदस्यों में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और पूर्व भारतीय कप्तान भास्कर गांगुली शामिल हैं. सीओए को राष्ट्रीय खेल संहिता और दिशा निर्देशों के अनुसार एआईएफएफ के संविधान को तैयार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी. इसके बाद से ही प्रतिबंध लगने की संभावना जताई जा रही थी.

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फीफा के निलंबन का भारतीय फुटबॉल पर क्या असर होगा?

फीफा के निलंबन का भारतीय फुटबॉल पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी का अधिकार गंवाने के अलावा राष्ट्रीय टीमें अंतरराष्ट्रीय मैचों में नहीं खेल पाएंगी. यहां तक ​​कि भारतीय क्लबों को भी महाद्वीपीय टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी. पुरुष टीम अगले महीने सिंगापुर और वियतनाम से खेलेगी लेकिन अब वे मैच अनिश्चित हैं. सीनियर महिला टीम अगले महीने सैफ महिला चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले सकती है, जबकि गोकुलम केरला एफसी अगले हफ्ते एएफसी महिला क्लब चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाएगी.

निलंबन कब और कैसे हटाया जाएगा?

फीफा ने बयान में कहा गया है, निलंबन तभी हटेगा जब एआईएफएफ कार्यकारी समिति की जगह प्रशासकों की समिति के गठन का फैसला वापिस लिया जायेगा और एआईएफएफ प्रशासन को महासंघ के रोजमर्रा के काम का पूरा नियंत्रण दिया जायेगा. इधर केंद्र ने एआईएफएफ के मसले पर उच्चतम न्यायालय से त्वरित सुनवाई का आग्रह किया है. न्यायमूर्ति डी वाय चंद्रचूड और ए एस बोपन्ना को केंद्र की ओर से सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ है और फीफा ने भारत को निलंबित करने का फैसला लिया है जो सार्वजनिक जानकारी में है और उसे रिकॉर्ड में लाया जाना चाहिये.

फीफा ने भारत के लिए अब भी खुले रखे हैं विकल्प

फीफा ने हालांकि कहा कि उसने भारत के लिए सभी विकल्प बंद नहीं किए हैं और वह खेल मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है और उसे महिला जूनियर विश्व कप को लेकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है. उसने कहा, फीफा भारत के खेल मंत्रालय से लगातार संपर्क में है और सकारात्मक नतीजे तक पहुंचने की उम्मीद है. फीफा ने पांच अगस्त को एआईएफएफ को निलंबित करने और महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी छीनने की धमकी दी थी. इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने तीन अगस्त को एआईएफएफ की कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने के निर्देश दिए थे. फीफा ने कभी अपनी सदस्य इकाइयों के मामलों में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी है. इनमें अदालत और सरकारी हस्तक्षेप भी शामिल है. उसने अन्य देशों में भारत जैसी स्थिति पैदा होने पर समितियों का गठन किया.

फीफा ने भारत में होने वाले अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी भी छीन लिया

फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को बैन करने के साथ-साथ अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के मेजबानी अधिकार छीन लिए. भारत को 11 से 30 अक्टूबर के बीच फीफा प्रतियोगिता की मेजबानी करनी थी.

85 साल के इतिहास में पहली बार फीफा ने उठाया इतना बड़ा कदम

यह पिछले 85 साल के इतिहास में पहला अवसर है जबकि फीफा ने एआईएफएफ पर प्रतिबंध लगाया. फीफा ने कहा है कि निलंबन तुरंत प्रभाव से लागू होगा. फीफा ने एक बयान में कहा , फीफा परिषद के ब्यूरो ने सर्वसम्मति से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला किया है. तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप फीफा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है.

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