Toxic Office Environment: ऑफिस में ताने और बदतमीजी से परेशान? प्रेमानंद जी महाराज के उपाय बदल देंगे हालात

Toxic Office Environment: प्रेमानंद जी महाराज से एक व्यक्ति ने ऑफिस के टॉक्सिक माहौल के बारे में बात की. उसने ऑफिस में अक्सर होने वाले भेदभाव, बदतमीजी, तानों और कटु बातों को लेकर सवाल किया. व्यक्ति की परेशानियां सुनकर प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा आइए जानते हैं.

By Neha Kumari | December 5, 2025 2:27 PM

Toxic Office Environment:  लोग सालों-साल मेहनत और पढ़ाई करते हैं, तब जाकर उन्हें एक नौकरी मिलती है. नौकरी मिलते ही लोगों के मन में एक अलग उत्साह जाग जाता है. कई लोगों को एक नौकरी से अपने सपने पूरे करने की दिशा मिल जाती है. लोगों को लगने लगता है कि आखिरकार अब वह समय आ गया है जब वे घर की जिम्मेदारियां और अपने तथा परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे. लेकिन क्या हो जब उनके इन आशाओं पर उनके काम का स्थान यानी दफ़्तर ही पानी फेर दे? दफ्तर का माहौल इतना टॉक्सिक हो जाए कि वहां रहना मुश्किल हो जाए. जिस नौकरी के लिए आपने इतनी मेहनत की, वही उस समय बेकार लगने लगे. ऐसे ही अपने दफ्तर के माहौल से परेशान एक व्यक्ति प्रेमानंद जी महाराज के पास पहुंचे और उनसे अपनी परेशानियों को साझा किया.

“ऑफिस में लोग परेशान करते हैं, क्या करूं?” – व्यक्ति का सवाल

वृंदावन स्थित प्रेमानंद जी के आश्रम में पहुंचे एक व्यक्ति ने सवाल करते हुए पूछा-“ऑफिस में अपमान, तिरस्कार, निंदा होती है, मज़ाक उड़ाया जाता है और कटु बातें बोली जाती हैं. ऐसे में काम करना बेहद मुश्किल हो जाता है, क्या किया जाए?”

प्रेमानंद महाराज का जवाब

व्यक्ति के सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज जी ने कहा- “ऐसी स्थिति में आपको निराश होने की जगह उत्साहपूर्वक कार्य करना चाहिए. यदि आप गलत हैं, तो उसमें सुधार करना चाहिए, और यदि आप सही हैं, तो बेपरवाह होकर कार्य करना चाहिए. आपको किसी की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए.”

इस पर एक महिला ने उनसे कहा कि “महाराज जी, यह सब सहन नहीं होता है”. इस पर प्रेमानंद महाराज ने महिला को नाम जप करने की सलाह दी.

कब तक सहन करें? क्या परिस्थिति बदलने के लिए कुछ कर नहीं सकते?

व्यक्ति ने महाराज से पूछा- “महाराज, हम कब तक सहन करें? क्या परिस्थितियों को बदलने के लिए कुछ कर नहीं सकते?”

इस पर महाराज जी ने कहा-“हमें जीवन भर सहन करना चाहिए. परिस्थितियों को बदला नहीं जा सकता. आप कहीं भी भाग कर चले जाएं, आपको इन सब चीज़ों का सामना करना पड़ेगा. आप केवल एक ही काम कर सकते हैं- मजबूती से लड़ना. आपको सहनशील बनकर लड़ते रहना होगा.” उन्होंने कहा- “जो सहन कर लेता है, परिस्थितियों से नहीं हारता, वही महात्मा कहलाता है.  एक बार जब आप सहनशील बन जाते हैं, तब आपको बुरा लगना बंद हो जाता है. क्योंकि सहनशील बनने के लिए अहंकार को भगवान के चरणों में छोड़ना पड़ता है. इसके बाद बुरा लगना बंद हो जाता है.”

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