Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025: आज है विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी, यहां देखें शुभ योग

Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025 का पावन व्रत आज धूमधाम से मनाया जा रहा है. ज्योतिष के अनुसार इस विशेष तिथि पर वृद्धि योग, ध्रुव योग और शिववास योग जैसे मंगलकारी संयोग बन रहे हैं. मान्यता है कि इन शुभ योगों में व्रत-पूजन करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं.

By Shaurya Punj | September 10, 2025 7:52 AM

Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विघ्नराज संकष्टी व्रत का विशेष महत्व माना गया है. इस वर्ष यह पावन तिथि 10 सितंबर, मंगलवार को पड़ रही है. खास बात यह है कि यह पितृपक्ष की पहली विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है. इस दिन श्रद्धापूर्वक विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के साथ पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश और पितरों की कृपा एक साथ प्राप्त होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष में आने वाली संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है और इस अवसर पर विधि-विधान से गणेश पूजन करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं तथा श्रीगणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत 11 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा.

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 10 सितंबर दोपहर 03:37 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्ति – 11 सितंबर दोपहर 12:45 बजे

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025 के शुभ योग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन विशेष शुभ संयोग बन रहे हैं. इस पावन अवसर पर वृद्धि योग और ध्रुव योग का निर्माण होगा. साथ ही शिववास योग भी इस दिन विद्यमान रहेगा. ये सभी योग अत्यंत मंगलकारी माने जाते हैं और व्रत-पूजन के फल को कई गुना बढ़ाने वाले होते हैं.

चंद्रमा की पूजा विधि

यद्यपि चतुर्थी तिथि के अधिष्ठाता भगवान श्रीगणेश हैं, लेकिन इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की रात जब चंद्रमा उदय हो, तब सर्वप्रथम उन्हें शुद्ध जल से अर्घ्य अर्पित करें. इसके बाद चंद्रदेव को कुमकुम, अक्षत और पुष्प चढ़ाएं. अंत में folded hands से व्रत पूर्ण होने की प्रार्थना करें ताकि व्रत का शुभ फल प्राप्त हो सके.

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का महत्व

धार्मिक ग्रंथों में इस व्रत की महिमा का विशेष उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि स्वयं भगवान श्रीगणेश ने इसकी महत्ता अपनी माता पार्वती जी को बताई थी. उनके अनुसार, जो भी भक्त श्रद्धा से विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत करता है, उसके जीवन से सभी विघ्न और संकट दूर हो जाते हैं. यही कारण है कि इस व्रत को “विघ्नराज” कहा गया है. जीवन में किसी भी प्रकार की विपत्ति और अवरोध से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत का पालन अत्यंत शुभ माना जाता है.