महापुरुष स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती आज, यहां देखें उनके  धार्मिक विचार

Swami Dayanand religious quotes: इस देश के अंधकार में ज्ञान की ज्योति फैलाने वाले आधुनिक भारत के विचारकों में स्वामी दयानंद सरस्वती का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. वेदों के प्रति उनकी गहरी आस्था थी, जिसे फैलाने के उद्देश्य से उन्होंने मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की. आइए, महर्षि दयानंद सरस्वती के धार्मिक दृष्टिकोण के बारे में जानते हैं.

By Shaurya Punj | February 23, 2025 6:50 AM

Swami Dayanand Religious Quotes: आज 23 फरवरी 2025 महर्षि दयानंद सरस्वती जी की जयंती मनाई जा रही है. आपको बता दें हिंदू पंचांग के अनुसार, उनकी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है.

कौन थे महर्षि दयानंद सरस्वती

19वीं सदी के एक प्रमुख सामाजिक सुधारक थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अपने जीवन का बलिदान दिया. स्वामी पूर्णानंद सरस्वती से संन्यास की दीक्षा लेने के पश्चात, उन्हें दयानंद सरस्वती के नाम से जाना जाने लगा. वे आर्य समाज के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उनके विचारों से प्रेरित होकर बाल गंगाधर तिलक, राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान राष्ट्रभक्तों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.

डीएवी ललपनिया में मनी स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती

आर्य समाज के थे संस्थापक

स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना करके भारतीयों की धार्मिक सोच में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया. महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों ने समाज को निरंतर प्रेरित किया है. इस ब्लॉग में आपको स्वामी दयानंद सरस्वती के मूल्यवान विचारों को पढ़ने का अवसर मिलेगा, जो न केवल उनके जीवन के बारे में जानकारी देंगे, बल्कि आपको सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे. इसके अतिरिक्त, ये विचार आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करेंगे.

स्वामी दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार

  • स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था कृण्वंतो विश्वमार्यम अर्थात सारे संसार को श्रेष्ठ बनाओ, यह सिद्धांत वसुधैव कुटुंबकम् का ही अगला चरण जान पड़ता है.
  • सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो.”
  • स्वामी दयानंद सरस्वती के अंतिम शब्द थे, प्रभु तूने अच्छी लीला की, आपकी इच्छा पूर्ण हो.
  • “भगवान का ना कोई रूप है ना रंग है. वह अविनाशी और अपार है, जो भी इस दुनिया में दिखता है वह उसकी महानता का वर्णन करता है.”
  • स्वामी दयानंद सरस्वती ने एकेश्वरवाद का प्रचार किया, उन्होंने कहा कि वेदों में ईश्वर को एक ही बताया गया है. निराकार स्वरूप में उनकी दृढ़ आस्था थी. उन्होंने कहा था कि सृष्टि की उत्पत्ति के तीन कारण हैं, ईश्वर, जीव और प्रकृति, ये तीनों अनादि और अनंत हैं. ये तीनों सत्य हैं.
  • वेद सब सत्य विधाओं की पुस्तक है, वेद को पढऩा-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है.
  • स्वामी दयानंद सरस्वती ने मूर्ति पूजा का विरोध किया था, कहा था कि यह वेद विरूद्ध और अप्रमाणिक है. उन्होंने वेदों की ओर लौटो का नारा भी दिया था.
  • स्वामी दयानंद ने सार्व भौमिक धर्म की धारणा पर बल दिया था. इसे उन्होंने सनातन नित्य धर्म कहा था.