Surya Grahan 2025: शारदीय नवरात्रि से पहले और सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया, जानें इसका प्रभाव
Surya Grahan 2025: साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण सर्वपितृ अमावस्या के दिन लगने जा रहा है, ठीक शारदीय नवरात्रि से पहले. हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसके खगोलीय और ज्योतिषीय महत्व को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है. आइए जानते हैं इसका प्रभाव और धार्मिक मान्यता.
Surya Grahan 2025: सितंबर 2025 धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माह माना जा रहा है. इस महीने पितृपक्ष और शारदीय नवरात्रि जैसे प्रमुख पर्व आ रहे हैं. इसके अलावा चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाएं भी इसी माह घटित हो रही हैं. हाल ही में साल का अंतिम चंद्र ग्रहण (ब्लड मून) भारत में दिखाई दिया, जिसके प्रभाव अगले छह माह तक 12 राशियों पर किसी न किसी रूप में देखे जा सकते हैं. अब इसी महीने के अंत में साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है.
कब लगेगा साल का अंतिम सूर्य ग्रहण?
साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को होगा. यह दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन पितरों के श्राद्ध और तर्पण की परंपरा निभाई जाती है. भारतीय समयानुसार यह ग्रहण रात 1:13 बजे शुरू होगा. चूंकि यह रात में लग रहा है, इसलिए भारत में यह दिखाई नहीं देगा और न ही मान्य होगा. इसी कारण इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा.
सूर्य ग्रहण का पितृपक्ष और नवरात्र पर असर
ग्रहण के कारण पितृपक्ष के अनुष्ठानों या आगामी शारदीय नवरात्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. धर्माचार्यों का मानना है कि यह ग्रहण भारत के लिए शुभ है. हालांकि विश्व स्तर पर कुछ उथल-पुथल की स्थिति बन सकती है, लेकिन भारत पर इसका प्रतिकूल असर नहीं होगा. इसलिए पितृपक्ष अमावस्या पर सभी धार्मिक कार्य जैसे श्राद्ध, दान और तर्पण विधि-विधान से किए जा सकेंगे. अगले दिन यानी 22 सितंबर 2025 से नवरात्र की शुरुआत होगी और कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाएगी.
21 सिंतबर को लगने जा रहा है सूर्य ग्रहण, क्या भारत से देगा दिखाई?
कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?
यह सूर्य ग्रहण भारत में प्रभावहीन रहेगा, लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों से इसे देखा जा सकेगा. यह न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. चूंकि भारत में यह दृश्य नहीं होगा, इसलिए पूजा-पाठ, स्नान और दान पर कोई पाबंदी नहीं होगी. भक्त निश्चिंत होकर धार्मिक अनुष्ठान कर सकेंगे.
