Shardiya Navratri Day 2 Maa Brahmacharini Live Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती
Shardiya Navratri Day 2 Maa Brahmacharini Live Puja Vidhi: आज शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का खास महत्व है. सही पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती के जरिए मां की कृपा पाकर साधक को तप, संयम और विजय का आशीर्वाद मिलता है. जानें इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का सही तरीका.
Shardiya Navratri Day 2 Maa Brahmacharini Live Puja Vidhi: आज 23 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है. ‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का अर्थ है आचरण करने वाली देवी. माता ब्रह्मचारिणी के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होते हैं, जो तपस्या और संयम के प्रतीक हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से उनकी पूजा करने पर व्यक्ति को धैर्य और आत्मसंयम की शक्ति प्राप्त होती है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती…
लाइव अपडेट
मां ब्रह्मचारिणी के शुभ रंग और पुष्प
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है. इसलिए इस दिन पूजा में सफेद रंग के कपड़े पहनें और मां को सफेद फूल अर्पित करें. इससे माता की प्रसन्नता बढ़ती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
मां ब्रह्मचारिणी के प्रिय भोग
द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी को बर्फी, चीनी, खीर और पंचामृत का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है. इन मिठाइयों से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपने आशीर्वाद की वर्षा करती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र और साधना मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन, मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए बीज मंत्र “ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:” का जाप करना चाहिए. इसके साथ ही साधना मंत्र “ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:” का कम से कम 108 बार जाप करने से माता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है.
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि इस प्रकार है: प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध करें. घर के मंदिर में दीपक जलाकर मां दुर्गा को अक्षत, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें. इसके बाद माता को भोग लगाएं. धूप व दीपक प्रज्वलित कर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में माता रानी की आरती करें.
मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ
मां ब्रह्मचारिणी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है.
पहला – ‘ब्रह्म’, जिसका अर्थ है तप, सत्य और परम शक्ति.
दूसरा – ‘चारिणी’, जिसका अर्थ है आचरण करने वाली या साधना करने वाली.
मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में क्या रहता है?
मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जपमाला (रुद्राक्ष की माला) रहता है . इसे साधना, तप और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. वहीं, बाएं हाथ में कमंडल रहता है जो संयम, त्याग और सरलता का प्रतीक माना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी को कौन से फूल प्रिय हैं?
मान्यता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन देवी को सफेद गुलाब, चमेली और कमल चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अतिप्रिय है. इसलिए भक्तों को इस दिन सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए और मां को सफेद रंग के पुष्प अर्पित करना चाहिए.
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी का जन्म हिमालय में एक पुत्री के रूप में हुआ था. नारदजी के कहने पर उन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या शुरू की. इस कठिन साधना के कारण उन्हें तपश्चरिणी, यानी ब्रह्मचारिणी कहा गया. एक हजार सालों तक उन्होंने केवल फल और फूल खाए, सौ वर्षों तक जमीन पर रहकर कठिन जीवन व्यतीत किया. उन्होंने कठिन उपवास रखे, खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप सहा. तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाकर भगवान शंकर की आराधना की. इसके बाद उन्होंने सूखे बिल्व पत्र भी नहीं खाए और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार तपस्या करती रहीं. पत्तों को छोड़ देने के कारण उन्हें अपर्णा नाम से भी जाना गया. उनकी कठोर तपस्या देखकर देवता, ऋषि हैरान रह गए और कहा कि ऐसा तप कोई और नहीं कर सका. देवताओं ने देवी से कहा की उनकी मनोकामना पूरी होगी और भगवान शंकर उन्हें पति रूप में प्राप्त होंगे. इस कथा का संदेश यह है कि जीवन में कठिन परिस्थितियों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को सफलता प्राप्त होती हैं. नवरात्रि के दूसरे दिन इसी स्वरूप की पूजा की जाती है.
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन करें ये उपाय
मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन से हाथों में थोड़ी-सी मिश्री लेकर "या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥" मंत्र का 108 बार जाप करने से बच्चे में बुद्धि, मेधा और कार्यकुशलता बढ़ती है. इसे रोज़ाना सात दिनों तक करना चाहिए.
मां ब्रह्मचारिणी की आरती लिरिक्स (Brahmacharini mata Aarti lyrics)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा॥
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता॥
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए॥
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने॥
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर॥
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना॥
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम॥
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी॥
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जाप करें
1. ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
2. ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते|
3. या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
4. दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी की सवारी क्या हैं?
मां दुर्गा के स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की सवारी गाय है.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप कैसा है?
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. उनका स्वरूप शांत, सरल और ध्यानमग्न माना जाता है. मां सफेद वस्त्रों में सुसज्जित होती हैं, जो ज्ञान, शांति और संयम का प्रतीक हैं. उनके दाएं हाथ में माला और बाएँ हाथ में कमंडल होता है, जिसमें माला सतत भक्ति और ध्यान का, और कमंडल तपस्या और संयम का प्रतीक है.
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप कैसा है?
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. उनका स्वरूप शांत, सरल और ध्यानमग्न माना जाता है. मां सफेद वस्त्रों में सुसज्जित होती हैं, जो ज्ञान, शांति और संयम का प्रतीक हैं. उनके दाएं हाथ में माला और बाएँ हाथ में कमंडल होता है, जिसमें माला सतत भक्ति और ध्यान का, और कमंडल तपस्या और संयम का प्रतीक है.
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त
सुबह- 04:54 से 05:41 बजे तक पूजा का ब्रह्म मुहूर्त रहेगा.
दोपहर में- 12:08 से 12:56 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा.
शाम को- 06:35 से 07:46 बजे तक सायाह्न संध्या मुहूर्त रहेगा.
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना का महत्व
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, संयम और तपस्या की प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से मानसिक शांति, बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है.
मां ब्रह्मचारिणी को करें इस चीज का भोग अर्पित
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री और फलों का भोग अर्पित करना बेहद शुभ होता है. इसके अलावा, सादा दूध या हलवे का भोग लगाना भी अच्छा माना जाता है.
मंत्र जाप की सही विधि
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हाथ में लाल रंग का पुष्प लें, मां का ध्यान करें और श्रद्धा-भक्ति के साथ यह मंत्र उच्चारित करें. हाथ जोड़कर प्रार्थना करने से मन और आत्मा में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और मंत्र जाप
यदि आप किसी कार्य में सफलता और विजय पाना चाहते हैं, तो मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है. पूजा करते समय साफ स्थान पर आसन लगाकर बैठें, देवी का स्मरण करें और फूल, अक्षत व चंदन अर्पित करें. फिर नीचे दिए गए मंत्र का कम से कम एक माला (108 बार) जाप करें:
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः।
इस मंत्र का नियमित जाप करने से साधक को जीवन में विजय और सभी बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
पूजा से मिलने वाले फल
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना साधक को असाधारण फल देती है. इस दिन साधक अपने मन को स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित कर देवी का ध्यान करते हैं. उनकी कृपा से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम जैसे गुणों की वृद्धि होती है. जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति अपने कर्तव्य से डिगता नहीं और उसे सर्वत्र सिद्धि एवं विजय की प्राप्ति होती है. लालसाओं से मुक्ति और मन की शुद्धि के लिए भी मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान अत्यंत लाभकारी माना जाता है.
नवरात्रि में लौंग चढ़ाने का महत्व
नवरात्रि के दौरान लौंग चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह न केवल मां दुर्गा की कृपा पाने का माध्यम है, बल्कि नकारात्मकता को दूर करके घर में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक हर शाम दीपक में लौंग के जोड़े को डालकर जलाएं और उसका धुआं पूरे घर में फैलाएं. आरती के समय कपूर के साथ लौंग डालकर आरती करने से भी मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग
मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री और पंचामृत का भोग बेहद प्रिय है. भक्त पंचामृत तैयार कर माता को अर्पित करते हैं. इसके अलावा, सफेद रंग की मिठाइयाँ और मौसमी फल भी अर्पित करना शुभ माना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद आसन पर बैठकर माता ब्रह्मचारिणी का ध्यान करें. उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, रोली आदि अर्पित करें. दूध, दही, घृत, शहद और शक्कर से माता का स्नान कराएं. भोग में पिस्ते की मिठाई, पान, सुपारी और लौंग अर्पित करें. फिर मंत्रजाप और आरती करें. इससे मां की कृपा से संयम और साधना की शक्ति प्राप्त होती है.
